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शुक्रवार, 21 मई 2010

संजोया सपना

अकसर ऐसा होता है कि सपने टूट जाया करते हैं पर इंसान जज़्बाती है ना.............. फिर से नई आस के साथ सपने बुनने लगता है टूटता है, बिखरता है पर सपने संजोना बन्द नहीं करता.............बस सपनों को हकीकत में बदलते देखना चाहता है.........


                                संजोया सपना


                                   संजोया हर सपना
                                                      पूरा कहां होता है ;
                                   फिर भी हर इंसान
                                                      इनमें खोया रहता है ;
                                   अकसर जब नींद में
                                                      सपनों का डेरा होता है ;
                                   सच होने की आस लिए
                                                      नया सवेरा होता है ;
                                   हर पल जब दिन का
                                                      रूख बदलता जाता है ;
                                   सपनों के जहाँ में
                                                     हकीकत का दौर आता है ;
                                   हर शाम गमगीन
                                                     रात अश्कों को पहरा होता है ;
                                   बहता जाता है हर सपना
                                                    जो दिल ने संजोया होता है !!

                                                                                                                                               सुमन ‘मीत’

27 टिप्‍पणियां:

  1. आधी सांस से भी कम में पढ़ गया ये सरिता की तरह कलकलाती रचना आपकी.. पर क्या ही अच्छा होता कुछ और भाव डाल इसे लम्बा बनातीं..

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  2. sahi kaha aapne...
    sapne shayad sach nahi ho paate, lekin kya karein hum inhein dekhna chhod bhi nahi sakte......
    bahut hi achhi rachna...
    mere blog par bhi jaroor aayein...
    http://i555.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. दीपक जी आपने ठीक कहा पर कभी कभी यूं होता है कि कुछ भाव मन में उठे और शब्दों में ढल गये और फिर से उन्हीं भावों को मन में समेट पाना सम्भव नहीं होता इसलिये इतना ही लिख पाई ।आपका सुझाव अच्छा लगा अगर इसमें और भाव डालकर लम्बा कर पाई तो आपको जरूर बताऊंगी ।

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  4. सपनों की फितरत है बह जाना...


    बढ़िया रचना!!

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  5. सपने अगर पूरे होने लगे तो उसे सपना क्यो कहा जायेगा.
    सुन्दर रचना

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  6. ... यदि मन में आस नहीं हो तो दिल कब का दूट गया होता .....
    मनोभावों से भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए शुभकामना!

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  7. sapne shayad tutne ke liye hi hote hain.sundar aur sahaj abhivyakti.badhai.

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  8. बड़ा सुन्दर लगता है
    जब कोई अपने मन को,
    रुचि के महीन धागे से,
    शब्दों में पिरोता है ।

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  9. bahut umda aapne likha hai suman ji aajkal aap hamare blogs par aana nahi ho raha hai ..meherbaani karke aur hamari hausala afzai kare ...shukriyaaaaa

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  10. अकसर जब नींद में सपनों का डेरा होता है
    सच होने की आस लिए नया सवेरा होता है.
    लाजवाब.....दिल को छूने वाली रचना.

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  11. काफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर

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  12. सपने बह जाते हैं पर फिर भी उनकी याद रखनी चाहिए ... नये सपने देखने चाहिएं .... सपने हैं तो जीवन है ....

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  13. @त्रुटि सुधार--'आस का दमन को--'आस का दामन 'पढीये.

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  14. सपने कब हुए अपने..आँख खुली तो उड़ जाते हैं!
    फिर भी आस का दमन छूटे न!
    बहुत अच्छी है यह कविता .

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  15. बहुत सुन्दर रचना!

    http://athaah.blogspot.com/

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  16. mere blog par...
    तुम आओ तो चिराग रौशन हों.......
    regards
    http://i555.blogspot.com/

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  17. kavita achhi thi dubaara padhne chala aaya,....

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  18. हर सपने के टूटने के बाद भी इंसान सपने देखता है। हर रात सपनों का कारवां आता है। फिर गुजर जाता है। सपनों के टूटने बिखरने के बाद भी सपनों के कारवां ने आना नहीं छोड़ा है तो जाहिर है मन अब भी प्रबल है। हार नहीं मानता तो हम क्यूं माने। सपने देखना क्यूं छोड़ें जब वो आना नहीं छोड़ रहे। वैसे भी कहते हैं न कि सपनों का मर जाना उतना बुरा नहीं, जितना सपनों का न होना। हम क्या करें, सपने तो आते ही रहते हैं सो उन्हें क्यों रोक कर उनका दिल तोड़ें। हमारा भले ही टूटता रहे। क्या फर्क पड़ता है। क्यों ठीक है न।

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  19. आपके ब्लोग पर आ कर अच्छा लगा! ब्लोगिंग के विशाल परिवार में आपका स्वागत है! आप हिमाचल प्रदेश से सम्बधित है इसलिये हम आपको बताना चाहेगे कि हिमधारा ब्लोग हिमाचल प्रदेश के शौकिया ब्लोगर्स का एक प्रयास है ! आप इससे जुड़ कर अपना रचनात्मक सहयोग दे सकते है ! आपसे आग्रह है की हिमाचल के अन्य शौकिया ब्लोगर्स के ब्लॉग के पतें हमें ईमेल करें या आप उनका पता पंजिकृत करवा दें ताकि उनकी फीड हिमधारा में शामिल हो सके और स्तरीय रचनाओं की जानकारी पाठकों को मिल सके ! हिमधारा में प्रकाशित रचनाओं पर अपने विचार और सुझाव ज़रुर दें आपके विचार जहां रचना के लेखक को प्रोत्साहित करेंगे वहीं हिमधारा को और निखारने में भी हमें मदद देंगे! आप हिमधारा के दो और प्रयास (संकल्क)हिमधारा और टिप्स भी देखें और अपना सुझाव दें! आप अपना ब्लोग अन्य हिन्दी ब्लोग संकल्कों ब्लोगवाणी , चिठ्ठाजगत, INDIBLOGGER,
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    हैप्पी ब्लोगिंग!
    हिमधारा में सहयोग की आशा सहित
    सम्पादक हिमधारा

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  20. not only ur poem but ur 'about me' is also impressive......
    http://www.anaugustborn.blogspot.com/

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