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शुक्रवार, 3 जून 2011

कभी-कभी सोचती हूँ...........






















जाने क्या है जाने क्या नहीं

बहुत है मगर फिर भी कुछ नहीं

तुम हो मैं हूँ और ये धरा

फिर भी जी है भरा भरा.........


कभी जो सोचूँ  तो ये पाऊँ

मन है बावरा कैसे समझाऊँ

कि न मैं हूँ न हो तुम

बस कुछ है तन्हा सा गुम.......................


                                                      
                                                                    सु..मन 

20 टिप्‍पणियां:

  1. उदास मन के भाव ...बहुत सुन्दरता से व्यक्त किये हैं ..!!

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  2. अच्छी कशमकश ! शुभकामनाएँ सुमन जी !

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  3. उहापोह की स्थिति ..सुन्दर अभिव्यक्ति

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  4. गहन अभिव्यक्तियाँ बधाई

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  5. मन के अंतर्द्वंद की सुन्दर अभिव्यक्ति सुमन जी.
    सादर
    श्यामल सुमन
    +919955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  6. अति सुंदर अभिव्यक्ति सुमन जी की आपने

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  7. कुछ तो है तन्‍हा सा गुम...इसी में मजा हे।

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  8. कशमकश की सुन्दर प्रस्तुति।

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  9. सुमन जी, मनोभाव को अच्छे शब्दों में पेश किया है.

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  10. मन वाकई बावरा है

    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  11. वाह सुमन जी, क्या बेहतरीन गीत है ... मैंने तो गुनगुना भी लिया ... !

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