है वो ही मौसम
वही सज़र .. वही शाम
ऐ मीत ! तुम याद आ रहे हो ..
है वो ही शाम की लाली
नदी का ठहरा पानी
वही किनारा और मैं
ऐ मीत ! तुम याद आ रहे हो ..
है वो ही प्यार की गहराई
एक साथ बुने सपने
वही सोच और मैं
ऐ मीत ! तुम याद आ रहे हो ..
है वो ही ये मेरी हथेली
तुम्हारा कोमल निर्मल स्पर्श
वही एहसास और मैं
ऐ मीत ! तुम याद आ रहे हो ..
है वो ही मौसम
वही सज़र .. वही शाम
ऐ मीत ! तुम याद आ रहे हो ..
तुम याद आ रहे हो ........!!
सु..मन
Sunder
उत्तर देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
उत्तर देंहटाएंसादर
बहुत बढिया!!
उत्तर देंहटाएंयाद न जाये बीते दिनों की...
उत्तर देंहटाएंआजकल मन अक्सर जब अकेला होता है
उत्तर देंहटाएंतो दिल के एक जिन्दा बचे कोने मे सहेज कर रखे
तेरी यादों के टुकड़े निकाल लेता है
और आँखों की चादर बिछाकर उस पर टुकड़ा टुकड़ा सजाता है,
पर अब पहले सी तेरी तस्वीर नहीं बनती
अक्स तो फिर भी तुझसे मिलता जुलता है
तासीर नहीं मिलती।
-पुलस्त्य
Really beautifull
हटाएंबहुत सुंदर
उत्तर देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
उत्तर देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (10-11-2013) को सत्यमेव जयते’" (चर्चामंच : चर्चा अंक : 1425) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर ... रूमानियत के उपालंभ
उत्तर देंहटाएंसुन्दर रचना...:-)
उत्तर देंहटाएंउदास उदास पर सुन्दर
उत्तर देंहटाएंnice
उत्तर देंहटाएंमीत वही जो भुलाये न भूले ।
उत्तर देंहटाएंkhoobsoorat udgar
उत्तर देंहटाएंBahut hi badhiya......behtarin
उत्तर देंहटाएंहै वो ही ये मेरी हथेली
उत्तर देंहटाएंतुम्हारा कोमल निर्मल स्पर्श
वही एहसास और मैं
ऐ मीत ! तुम याद आ रहे हो ..बेहतरीन !!
आहूत सुन्दर !
उत्तर देंहटाएंनई पोस्ट काम अधुरा है
वाह मितवा ! क्या लिखा है सचमुच आनंद आ गया
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उत्तर देंहटाएंए मीत तुम याद आ रहे हो---
भावपूर्ण रचना
बहुत सुंदर भावनात्मक संप्रेषण बधाई आपको ।
उत्तर देंहटाएंAwesome poetry and I love it. ..very heart touching
उत्तर देंहटाएंवाह बहुत खूब
उत्तर देंहटाएंभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
उत्तर देंहटाएंप्रकृति और प्रेम का एक अनूठा संगम है। प्रकृति से तन्मय आर्त्र प्रेम की उत्कंठा अक्सर कविता को जन्म देती है। बेहद सुन्दर प्रेम के आलम्बन में गुंथी प्रणय के विरह को उदीप्त करती पंक्तियाँ। साधुवाद सुमन जी।
उत्तर देंहटाएंबहुत सुन्दर .
उत्तर देंहटाएंनई पोस्ट : फिर वो दिन