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मंगलवार, 9 जुलाई 2013

बरसना लाज़मी है , हम दोनों के लिए शायद !
















रात घिर आई है 
अधगीली सड़क पर 
आवाजाही कम है ज़रा 
सोडियम लैम्प की पीली रौशनी में 
भिन-भिनाने लगे हैं कीट पतंगे 
सड़क के गीले किनारों पर 
तैर रहे सूखे पत्तों में 
आने लगी है कुछ नमी |

रात बरसेगा वो 
इन हवाओं ने कहा है अभी 
मैं बालकनी में बैठ 
उसके इन्तजार में हूँ 
बरसेगा जरूर बाहर न सही .. भीतर |
***
बरसना लाज़मी है , हम दोनों के लिए शायद !!


सु..मन 


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