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बुधवार, 29 जनवरी 2014

बता मन मेरे..गीत लिखूँ कौन सा !











शब्द सारे खो गए 
छा गया है मौन सा
अब तू बता मन मेरे 
गीत लिखूँ कौन सा ।

शब्द सागर है भरा  
साहिल है बेचैन सा
अब तू बता मन मेरे 
मोती चुनूँ कौन सा ।

ज्वलंत हैं अभिलाषाएँ 
अस्तित्व है गौण सा 
अब तू बता मन मेरे 
रास्ता बढूँ कौन सा ।

नेह हृदय है बह रहा
माझी है निष्प्राण सा
अब तू बता मन मेरे 
पतवार ढूँढू कौन सा ।

अब तू बता मन मेरे
गीत लिखूँ कौन सा ....!!

सु..मन

रविवार, 12 जनवरी 2014

माँ सुनो !
















(बेटी दिवस पर)

माँ सुनो !

जब पहली बार 
किया था महसूस 
अपने गर्भ में 
मेरा वजूद 
तो बताओ ना 
मेरी धड़कन में 
किसे जिया था तुमने 
एक बेटा या बेटी ।

जब कभी 
अकेले में बैठ 
करती थी मुझसे बात 
क्या कुछ पनपता था 
तुम्हारे भीतर 
एक बेटी की चाह
या बेटे का सपना ।

जब पहली बार 
गूँजी मेरी किलकारी 
लिया था अपने हाथों में 
तुम्हारी सोच की हकीकत को 
बताओ ना 
कैसे स्वीकारा था तुमने ।
.
.
.
तुम मौन हो माँ 
जानती हूँ तुम्हारी चुप्पी 
इतने बरस 
बेटी के वजूद को 
महसूस करती आई हूँ 
तुमसे होकर गुजरती 
तय कर रही हूँ 
तुम्हारे गर्भ से इस घर तक सफ़र !!

तुम्हारी बेटी


सु..मन
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