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गुरुवार, 29 जून 2017

हे निराकार !











हे निराकार !

तू ही प्रमाण , तू ही शाख
तू ही निर्वाण , तू ही राख

तू ही बरकत , तू ही जमाल
तू ही रहमत , तू ही मलाल

तू ही रहबर , तू ही प्रकाश
तू ही तरुबर , तू ही आकाश

तू ही जीवन , तू ही आस
तू ही सु-मन , तू ही विश्वास !!

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मन में विश्वास है और विश्वास में तुम
मेरे आकारित परिवेश के तुम एकमात्र प्रहरी हो ।

सु-मन
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