आज ये सफर 5 महिनों का होने को आया है जब कुछ लफ्ज़ मेरी
डायरी के पन्नों से इस ब्लॉग पर उभर आये थे । उस वक्त सच
कहूं तो ये सोचा न था कि ये सफर इतना सुखद होगा आप सभी
के साथ। इन बीते महिनों में आप सभी का भरपूर सहयोग मिला
और सुझाव भी। इतने दूर होकर भी हम सब जुड़े है एक डोर से ,
शब्दों की डोर से.......।
डायरी के पन्नों से इस ब्लॉग पर उभर आये थे । उस वक्त सच
कहूं तो ये सोचा न था कि ये सफर इतना सुखद होगा आप सभी
के साथ। इन बीते महिनों में आप सभी का भरपूर सहयोग मिला
और सुझाव भी। इतने दूर होकर भी हम सब जुड़े है एक डोर से ,
शब्दों की डोर से.......।
आज अपना एक और ब्लॉग शुरू कर रही
हूँ अर्पित‘सुमन’http://arpitsuman.blogspot.com/ इस आशा के साथ
कि मेरे इस प्रयास में आप सभी बागवां बन कर सुमन की बगिया
को अपने स्पर्श से महक देते रहगें ।
सुमन ‘मीत’
चन्द पंक्तियां लिखी हैं .............
जुश्तजू
कभी जिन आँखों में
चाहत की जुश्तजू थी
आज देखा तो जाना
वो नज़र बदल गई.................