अकसर ऐसा होता है कि सपने टूट जाया करते हैं पर इंसान जज़्बाती है ना.............. फिर से नई आस के साथ सपने बुनने लगता है टूटता है, बिखरता है पर सपने संजोना बन्द नहीं करता.............बस सपनों को हकीकत में बदलते देखना चाहता है.........
संजोया सपना
संजोया हर सपना
पूरा कहां होता है ;
फिर भी हर इंसान
इनमें खोया रहता है ;
अकसर जब नींद में
सपनों का डेरा होता है ;
सच होने की आस लिए
नया सवेरा होता है ;
हर पल जब दिन का
रूख बदलता जाता है ;
सपनों के जहाँ में
हकीकत का दौर आता है ;
हर शाम गमगीन
रात अश्कों को पहरा होता है ;
बहता जाता है हर सपना
जो दिल ने संजोया होता है !!
सुमन ‘मीत’