(पूज्य बाबू जी को समर्पित )
छोड़ इस लोक को ऐ बाबुल
परलोक में अब रहता है तू
कैसे बताऊं तुझको ऐ बाबुल
मेरे मन में अब बसता है तू
बन गए हैं सब अपने पराये
न होकर कितना खलता है तू
देख माँ की अब सूनी कलाई
आँखों से निर्झर बहता है तू
पुकारे तुझको ‘मन’ साँझ सवेरे
मंदिर में दिया बन जलता है तू
ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू....
ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू..... !!
सु..मन