वो लड़की
सफ़र में
जाने से पहले
बतियाती है
आँगन में खिले
फूल पत्तों से
देती है उन्हें हिदायत
हमेशा खिले रहने की
रोज़ छत पर
दाना चुगने आई
चिड़िया को
दे जाती है
यूँ ही हर रोज़
आते रहने का न्योता
चाहती है वो
माँ का घर हरा – भरा
.
.
घर से निकलते वक़्त
टेकती है सर
घर की देहड़ी पर
बिना पीछे मुड़े
बढ़ा देती है कदम आगे
हर जरूरी सामान
छोड़ जाती है
पीछे ही घर में
एक छोटी डायरी में
लिख जाती है
सारा हिसाब किताब
माँ को दे जाती है
जल्दी लौट आने का
झूठा दिलासा
वो लड़की अंतिम सफ़र पर है !!
सु-मन