इस एक दिन
सुख दुख का हिसाब
और जी भर जीना सकून
साल के बाकी दिनों को
मिट्टी में मिला कर
बीज देना नव वर्ष का अंकुर
भ्रम के दरवाजे पर
लगा कर निश्चय का ताला
प्रतिपादित करना नया स्वरूप
माँग लेना दुआ में
अपने हिस्से की कुछ खुशी
त्याग देना निराशा का भाव
मन! भूल जाना तुम
सब आधा अधूरा
हर लफ्ज़ को पूरा बनाकर
दे देना मुझे जन्मदिन का उपहार ।
सु-मन