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बुधवार, 1 मई 2019

बर्ग-ए-चिनार










चुरा लाई हूँ तुम्हें
तुम्हारे दरख़्त से
रख दिया है सहेज के
अपनी नज़्मों के पास
बहुत ख़्वाहिश थी
बिताऊँ चन्द लम्हें
तुम्हारे आगोश में
डल के किनारे बैठ
करूँ हर शाख से बातें
महसूस करूँ तुम्हारा वजूद
उतार लूँ तुमको मन के दर्पण में
ये सोच-
ले आई तुम्हें अपने साथ
कि मेरी हर नज़्म अब बर्ग-ए-चिनार होगी ।।


सु-मन
#कश्मीर डायरी 

17 टिप्‍पणियां:

  1. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने....सीधे मन में उतरता चला गया !

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  2. मेरी हर नज़्म अब बर्ग-ए-चिनार होगी ।
    बेहतरीन लेखन हेतु शुभकामनाएं आदरणीया ।

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  3. नज़्म को बखूबी चिनार बनाया आपने

    बहुत सुंदर रचना

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  4. आवश्यक सूचना :

    सभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html

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  5. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 25 मई 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. बर्ग-ए-चिनार ने दिल छू लिया.बहुत सुंदर 👏

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 29 मई 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  8. वाह बहुत सुन्दर बर्ग ए चिनार ।

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