ज़ख्म
बन्द हैं चौखट के उस पार
अतीत की कोठरी में
पलों के रत्न जड़ित
आभूषण
एक दबी सी आहट
सुनाती
एक दीर्घ गूंज
समय चलता
अपनी उलटी चाल
घिरता कल्पनाओं का लोक
लम्हों को परिचालित करता
अपने अक्ष पर
प्रतिध्वनित हो उठती
अनछुई छुअन
सरिता बन जाता
समुद्र का ठहराव
हरित हो उठती
पतझड़ की डालियाँ
लघु चिंतन में
सिमट जाता
पूरा स्वरूप
बन जाता
फिर......
एक रेत का महल
खुशियों का लबादा ओढ़े
दस्तक देता प्रलय
ढेर बन गए महल में
दब जाती
वो गूंज
रत्नों पर फन फैलाए
समय का नाग
डस लेता
देता एक सुलगता ज़ख्म
रिसता है जो
शाम ढले
उस चौखट को देखकर..........!!
सु..मन
सुमन जी
जवाब देंहटाएंभावनाओं के कितने मोती जड़े होते हैं आपकी रचना में.
बहुत उम्दा रचना..
जवाब देंहटाएंhmmmm.. gahree soch se upjee rachnaa..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लेखन के बधाई
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
अतीत की कोठरी में क्या क्या भरा है सुमन जी,
जवाब देंहटाएंसच में अंतर्द्वंध है ये..........
शब्दों का सामंजस्य बहुत अच्छे ढंग से sthapit किया है.....बहुत उम्दा रचना हुई है....
चौखट के आगे रिश्ता दर्द .... मन तक आ गया
जवाब देंहटाएंज़ख्म की पीड़ा शब्दों में है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरती से जज्बातों को रत्न पहना दिए हैं ...खूबसूरत
जवाब देंहटाएंsuman ji aapke bhaw thekha vyang karte hai !! bahut achha .... mere blog par bhi swagat hai !!
जवाब देंहटाएंJai HO Mangalmay HO
bahut badiya....
जवाब देंहटाएंA Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
Banned Area News : Canadian Actress Lisa Ray In Fight Against Cancer
अतीत की परछाइयाँ कुछ ऐसे ही एहसास कराती हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति पेश की है आपने!
जवाब देंहटाएंबधाई!
सुन्दर अभिव्यक्ति---सच है--
जवाब देंहटाएं"..यादें क्या हैं
मन की लाइब्रेरी में संजो कर रखी गईं
पुस्तकें, पत्रिकाएं व संदर्भ ग्रन्थ- या सी डी-
जिन्हें हम जब चाहे
आल्मारी से निकालकर, या-
कम्प्यूटर में लोड करके,
पढ लेटे हैं ,और जी लेते हैं, उन-
भूले-बिसरे क्षणों को।"----काव्य-दूत से.
काफी सुन्दर रचनाये हैं आपकी ....ब्लॉग अच्छा लगा ......हिंदी के साथ ऐसी रचनाये कम देखने को मिलती हैं ......शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंकभी फुरसत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयिए -
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
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चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 7- 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
संवेदनशील रचना ...
जवाब देंहटाएंbahoot hi gahre jakham ki peeda hai...bhahoot khoob
जवाब देंहटाएंupendra ( wwww.srijanshikhar.blogspot.com )
आपकी हर एक नई रचना पहले से अधिक परिपक्व दिखती है...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंमशीन अनुवाद का विस्तार!, “राजभाषा हिन्दी” पर रेखा श्रीवास्तव की प्रस्तुति, पधारें
बहुत ख़ूब !! बहुत ही बढ़िया !!
जवाब देंहटाएंAtyant bhavuk
जवाब देंहटाएंwww.the-royal-salute.blogspot.com