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शुक्रवार, 8 जून 2012

मन बावरा




















मन बावरा
उड़ने चला
पंख बिना


टूटे पंख
छूटे सपने
बादल बरसे


कलम भीगी
लफ्ज़ पनपे
नज्म उभरी !!









सु-मन 



12 टिप्‍पणियां:

  1. पंख के बिना उड़ान लंबी होगी
    बहुत खूब

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  2. इसी उड़ान से ही तो बेहतर नज़्म बनती है ..

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  3. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  4. अच्छी लगी यह कविता। सु-मन को कविता से जोड़ कर पढ़ा।:)

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