आभासी दुनिया का साभासी सच
जो दीखता है वो होता नहीं ,जो होता है वो दीखता नहीं..
आज बस में थोड़े कम लोग थे और मेरे सामने की सीट पर बैठी एक लड़की के हाथ में Mobile था । वो कुछ type कर रही थी माने chatting कर रही थी । न चाहकर भी मैं उस पर से अपना ध्यान हटा नही पाई । उसके होठों पर उभर आई मुस्कराहट उसकी आँखों में अजीब सी शोखी पैदा कर रही थी । मैं उसे देखती रही की इस आभासी दुनिया से मिली मुस्कराहट आभासी नहीं, साभासी थी (Realistic) थी । मैं उसके चहरे पर उभरते भावों को देखती रही कुछ भी तो आभासी नही था सब यथार्थ था उसकी मुस्कराहट ,उसके हाथ में वो mobile , उस पर टाइप करते उसके हाथ और उसको देखती हुई मैं .. सब यथार्थ, हकीकत हाँ आभासी था तो इंसान जिससे वो बात कर रही थी जो उस वक़्त न होकर भी इन सब में था /थी ।
आज मिली मुस्कराहट कल आंसू भी देगी , गम भी देगी । मिलता है दुख..तय है । सुख और दुख साथ साथ चलते हैं हमेशा । हर सुख आने वाले दुख के लिए नींव तैयार करता है और उसको भोगना पड़ता है क्यूंकि संवेदनाएं कभी आभासी नहीं होती वो यथार्थ से जुड़ी होती हैं । आभासी दुनिया ऐसी ही रहेगी कुछ भी न बदलेगा क्यूंकि नहीं देख पाता कोई तुम्हारे चेहरे पर उभरी मुस्कराहट या उदासी ,उसे तो दिखती है बस keypad पर लिखी एक इबारत जिसे पढ़कर या अनपढ़े वो बना देता है कोई स्माईली और इस तरह आपकी संवेदनाएं सिर्फ आभासी बन कर रह जाती हैं एक दिन किसी के लिए !!
(चार साल पहले ऑफिस जाती बार देखे दृश्य से प्रेरित )
सु-मन
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व अल्जाइमर दिवस : एल्जाइमर्स डिमेंशिया और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंवाह! आपको 4 बरस पुराने दृश्य भी अच्छे खासे याद रहते हैं.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने.
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुमन जी आपने बिलकुल सच कहा -----------एकदम हकीकत है
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