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सोमवार, 18 जून 2018

शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (१५)




















तमाम खुशियों के बावजूद गम हरा है अभी
जिंदगी की सूखी सतह पर नमी बाकी है शायद ।।



सु-मन 

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