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शनिवार, 21 जुलाई 2018

शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (१६)




















छलता है 'मन' यूँ ही मुझको बारहा

लफ्ज़ों से फिर बेरुखी छलकने लगती है !!



सु-मन