जीवन में फिर होता सृजन
सृजन से उपजता है ज्ञान
ज्ञान से परिभाषित हो विज्ञान
विज्ञान से बदलता परिवेश
परिवेश बनाता प्रगतिशील देश
देश की होती अपनी परिभाषा
परिभाषा में अहम होती भाषा
भाषा जिसमें लगी है बिंदी
बिंदी की सुर्खी से सजी हिंदी
हिंदी प्रिय भारत की मातृभाषा
मातृभाषा वंदन हमारी अभिलाषा !!
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुभकामनाएँ |
सु-मन
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-02-2019) को "करना सही इलाज" (चर्चा अंक-3256) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut hi badhia kavita
जवाब देंहटाएंwww.chiragkikalam.in
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/02/2019 की बुलेटिन, " भाखड़ा नांगल डैम" पर निबंध - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंहिंदी है तो हम हैं ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ।
आपने हिंदी पर अदभुत रचना लिखी हैं
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंThanks you sharing information.
जवाब देंहटाएंYou can also visit on
How to think positive
How to control anger