बेज़िस्म नज़्म
सब ख़ामोश है आज
'मन' भी लफ्ज़ भीफड़फड़ा रहा तन्हा
डायरी का पन्ना खाली
सुबह की एक याद
ज़ेहन को कुतर रही
आहिस्ता - आहिस्ता
कर ही देगी शायद खाली
मेरा ये भरा सा 'मन'
पलकों के कोरों में अभी
कुछ अटक के निकल गया
धुँधला कर गया शायद
याद का कड़वा हिस्सा
जेहन की कुरचन भी
थोड़ी थमने लगी है अब
बावजूद इसके -
पन्ना ख़ामोश है
लफ्ज़ बेजान
और नज़्म बेज़िस्म
कि 'मन' आज उदास बहुत है ।।
सु-मन
पढ़ें ~ Day 6