आज कुम्भ का अंतिम शाही स्नान है1लाखों लोग गंगा स्नान के लिये गए हैं1ऐसे में एक कथा याद आ रही है जो मेरे पिता जी सुनाया करते हैं जिसमें छिपे गूड़ रहस्य को हम लोग जान नहीं पाते हैं1कथा कुछ इस तरह है.......
एक बार हरिद्वार में कुम्भ का मेला लगा था लाखों लोग वहां जा रहे थे1उस समय शिव पार्वती भ्रमण करते हुए बहां से गुजर रहे थे तो पार्वती जी ने कहा –हे भोले नाथ,कहते हैं की कुम्भ में सभी पाप धुल जाते हैं तो क्या ये सभी प्राणी पाप से मुक्त हो आपके धाम पहुंच जाएगें1शिव बोले-पार्वती ये पृथ्वी की माया बड़ी अजीब है इसे विषय को छोड़ दो 1परंतु पार्वती जी के हठ करने पर शिव पार्वती पृथ्वी लोक आ गए और एक दम्पती के रूप में हरिद्वार जाने वाले रास्ते में रुक गए1वहां पर दलदल थी इंसान के रूप में शिवजी उस दलदल में फंस गए और पार्वती किनारे पर खड़े हो कर आने जाने वालों से अपने पति को बाहर निकालने के लिये प्रार्थना करने लगी1जब लोग शिवजी को बाहर निकालने में मदद करने लगे तो पार्वती ने कहा- वही व्यक्ति हमारी मदद करें जिसने कोई पाप न किया हो1 ये सुनकर लोग पीछे हट जाते और कहते कि क्या कोई ऐसा भी इंसान होगा जिसने कोई पाप न किया होगा भूले से सही कुछ बूरे कर्म तो हो जाते हैं 1 ऐसे ही लोग आते जाते रहे 1अंत में एक डाकू वहां से गुजरा जो अभी अभी कुम्भ से लौटा था पार्वती जी ने उसे मदद करने को कहा साथ में अपनी शर्त भी बता दी तो डाकू ने कहा –यूं तो मैने अपने जीवन में अनेक पाप किये हैं पर गंगा में डुबकी लगाने से मेरे तन और मन दोनों की शुद्धि हो गई है उसके बाद मैने अब तक कोई पाप नहीं किया है और झट से वह शिवजी की मदद करने लगा उसी समय शिवजी अपने रूप में प्रकट हो गए और कहा- हे पार्वती, कुम्भ में तो अनगिनत लोगों ने स्नान किया पर सिर्फ यही एक मनुष्य मेरे धाम आयेगा 1यह पूरे विश्वास और भाव से गया था तभी तो इसके मन में कोई दुविधा नहीं थी1 चाहे जीवन में इसने अनेक बूरे कर्म किये हैं पर इस तरह का समर्पण ,श्रद्धा बाकी लोगों मे नहीं था वो स्नान करके अपने शरीर को तो धो आए थे पर मन अभी भी मलिन था1उस डाकू को आशीर्वाद देकर वे अपने धाम लौट गए 1
अंत में बस यही कहूंगी –मन चंगा तो घर विच गंगा
anth me kya baat kahi hai bahut khoob.......
जवाब देंहटाएंghar vich ganga ki baat bha gayi....bahut acha gyaan amrit ke liye dhanyawad...
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
sab baaton ki ek baat aap ne akhir mein likh hi di.
जवाब देंहटाएंAchchha aalekh.
दिलचस्प कहानी है !
जवाब देंहटाएंअंत में पूरा सार कह दिया.
जवाब देंहटाएंउम्दा कथा सुनाई..
आप फुल स्टॉप के लिए 1 लिखती हैं, उसकी जगह बिना स्पेस दिये, enter key के उपर वाला बटन जिसमें \ भी है, उसे शिफ्ट के साथ दबायें. तो । यह निशान बन जायेगा और बेहतर लगेगा.
bahut achchi trah se last line ki baat kahi bahut umdaaaaaaaaaaaa
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कथा.....कुम्भ नहाने से पाप से मुक्ति नहीं मिलती....पुरी श्रद्धा और खुद पर विश्वास होना चाहिए.
जवाब देंहटाएंमुहावरा भी है....
मन चंगा तो कठौती में गंगा ...|
बहुत मन था इस बार कुम्भ स्नान करें ..जा नहीं सके .
जवाब देंहटाएंलेकिन आपकी कथा सुनकर मन हल्का हो गया
सुन्दर बहुत सुन्दर ..बहुत प्रभाव है आपके लेखन में
संशय के साथ श्रद्धा का कोई अर्थ नहीं है. बहुत उपयोगी कथा प्रस्तुत की है आपने...... बधाई.
जवाब देंहटाएंबहूत खूब. एक छोटा सा प्रयास हमारा भी है.. सहयोग की उम्मीद भी है. http://galsuna.blogspot.com
जवाब देंहटाएंAchchha varnan aur vishleshan ---donon hee.Badhiya alekh.
जवाब देंहटाएंPoonam
बिल्कुल सही कहा है आपने । वैसे भी मन मे श्रृद्धा और् विश्वास हो तो पत्थ्रर मे भी भगवान प्रकट हो जाते है।
जवाब देंहटाएंदिलचस्प ....!!
जवाब देंहटाएंमन चंगा तो कठौती में गंगा ...|!
ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखने वालों को ईश्वर कभी निराश नहीं करता ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा आलेख भक्तिभाव से ओत-प्रोत ...
बहुत शुभकामनाएं
अच्छी कथा है ... अच्छा सार है कहानी का ... सच में मन सॉफ होना चाहिए ....
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