बहुत कम शब्दों में गहरी बात कहना आसान नहीं होता... लेकिन आप कहने में सक्षम हुई हैं... आपकी लेखनी सफल हुई है...और एक सफल कविता का सृजन हुआ है बधाई आपको...ह्रदय से..
yun hi likhte rahein... ----------------------------------- mere blog mein is baar... जाने क्यूँ उदास है मन.... jaroora aayein regards http://i555.blogspot.com/
कविता में हमारी भी रूचि हैं | अच्छी कवितओं की खोज में हम यहाँ तक आ पहुँचे आज| कम शब्दों का प्रयोग कर आपने अंतर्द्वंद को काफी अच्छे से उभरा हैं| आपकी इस लेखनी ने हमें प्रेरित कर रही हैं कुछ लिखने को| :)
वाकई एक मनो- स्थिति का सटीक वर्णन है . पर वहुत सच तो यह है अंतर्द्वंद नकारात्मक होते है. ये स्थिति तब ही बनती है जब हम वहुत अन्दर छिपी किसी आवाज से रूबरू होने में असमर्थ साबित होते है और परिस्थितियों के आधार पर अपने आप को ढालने पर मजबूर होते है
बढ़िया भाव..
जवाब देंहटाएंबहुत चुने हुए शब्दों में अंतर्द्वंद को बताया......
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobi se likhi antardvand ki paribhasha
जवाब देंहटाएंyah antardwand har raaste aata hai, per aatmsat ker hum samadhan nikalte hain.....mausam badalta hai
जवाब देंहटाएंअन्तर्द्वन्द... अच्छी पंक्तियां...
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंअच्छा परिभाषित किया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है सुमन जी ! बधाई !
जवाब देंहटाएंbahut hi khubsurat rachna....
जवाब देंहटाएंhumse rubaroo karaane ke liye dhanyawaad......
bahut hi khubsurat rachna....
जवाब देंहटाएंhumse rubaroo karaane ke liye dhanyawaad......
दिल पर प्रभाव छोड़ती रचना.
जवाब देंहटाएंबेहतर...
जवाब देंहटाएंantheen... anadi...hai yeh antardwand!
जवाब देंहटाएंbahot sunder.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना .....सत्य भी
जवाब देंहटाएंhttp://athaah.blogspot.com/2010/04/blog-post_29.html
नफरत थी हमसे तो इज़हार क्यूँ किया,
जवाब देंहटाएंदेना ही था ज़हर फिर प्यार क्यूँ किया,
देकर ज़हर कहते हें कि पीना ही होगा,
पी गए ज़हर तो कहते हें जीना ही होगा..!
Mind Blowing Poem.
जवाब देंहटाएंबहुत कम शब्दों में गहरी बात कहना आसान नहीं होता...
जवाब देंहटाएंलेकिन आप कहने में सक्षम हुई हैं...
आपकी लेखनी सफल हुई है...और एक सफल कविता का सृजन हुआ है
बधाई आपको...ह्रदय से..
मन के इस द्वंद को ही तो संभालना मुश्किल होता है ..... सार्थक लिखा है ...
जवाब देंहटाएंwah....
जवाब देंहटाएंsach hai dard bhi ek panchhi hai
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार अभिवयक्ति ..
जवाब देंहटाएंsuman ji pehli baar apko padha...bahut acchha likhti hain aap.antardwand ko acchhe se paribhashit karti apki rachna acchhi lagi.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव पिरो दिए हैं आपने अपने लफ़्ज़ों में ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंyun hi likhte rahein...
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mere blog mein is baar...
जाने क्यूँ उदास है मन....
jaroora aayein
regards
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कविता में हमारी भी रूचि हैं | अच्छी कवितओं की खोज में हम यहाँ तक आ पहुँचे आज|
जवाब देंहटाएंकम शब्दों का प्रयोग कर आपने अंतर्द्वंद को काफी अच्छे से उभरा हैं|
आपकी इस लेखनी ने हमें प्रेरित कर रही हैं कुछ लिखने को| :)
वाकई एक मनो- स्थिति का सटीक वर्णन है .
जवाब देंहटाएंपर वहुत सच तो यह है अंतर्द्वंद नकारात्मक होते है.
ये स्थिति तब ही बनती है जब हम वहुत अन्दर छिपी किसी आवाज से रूबरू होने में असमर्थ साबित होते है
और परिस्थितियों के आधार पर अपने आप को ढालने पर मजबूर होते है
कविता का भाव पक्ष बढ़िया लगा
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