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शनिवार, 20 अप्रैल 2013

ऐ मेरे नादान दिल












ऐ मेरे नादान दिलअब तो संभल जा
सच का सामना करसपनों को भूल जा

सेहरा-ए-जिंदगी है येगहरा सागर नहीं है
अनबुझी सी है प्यासन तू इसमें डूब जा
ऐ मेरे नादान दिल अब तो ....

सुलगती शमा है येसिंदूरी शाम नहीं है
पिघलता है जिस्म इसमेंन तू इसमें जल जा
ऐ मेरे नादान दिल अब तो .....

महफ़िल-ए-तन्हाई है येजश्न-ए-शाम नहीं है
तिश्नगी है जाम इसकान तू इसे पिए जा
ऐ मेरे नादान दिल अब तो .....

उल्फत का दरिया हैठहरा साहिल नहीं है
डूबते हैं अरमान इसमेंन तू इसमें बह जा

ऐ मेरे नादान दिलअब तो संभल जा
सच का सामना करसपनों को भूल जा !!


सु-मन 

28 टिप्‍पणियां:

  1. सच का सामना जितनी जल्दी हो उतना अच्छा. बहुत सुन्दर.

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  2. हर शेर गहरी सोच दर्शाता है ! बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ! वाह !

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  3. दिल है की मानता नहीं.सुन्दर रचना.

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  4. दिल है कि मानता नहीं.सुन्दर रचना.

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  5. अद्भुत भावनाओं से सनी प्रेम की दास्ताँ खुबसूरत प्रेम वाह ....

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  6. बढ़िया है आदरणीया-
    शुभकामनायें-

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  7. नादां ये दिल...बड़ा ज़िद्दी है....कहा नहीं मानेगा...

    अनु

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  8. गहन अनुभूति
    सुंदर रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

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  9. सच से सामना करती.. लाजवाब भावपूर्ण रचना ....

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  10. जिंदगी की हकीकत से वाबस्ता करती सुन्दर रचना ...

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  11. बहुत सुन्दर रचना है मन को मोह गई :)

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  12. bahut sunder ................prastuti

    @nand

    visit plz..

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  13. bahut sunder .............manmohak rachna

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