बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (06-10-2013) हे दुर्गा माता: चर्चा मंच-1390 में "मयंक का कोना" पर भी है! -- शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुमन जी..सच कहूं...दर्द से लबरेज कविता को पढ़ने से बचता हूं..या कहिए कि भागता हूं..पर मन का क्या किया जाए...सच में बावरा है मन...और ये दर्द भी मजे लेने लगा है हमसे....अब तो जब भी याद आता है तो कहीं अंदर दर्द तो चेहरे पर मुस्कान भी दे जाता है...है न मजेदार चीज
uf kya khoob kaha hai ...........dil ka dard uker diya suman
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसा ही है वंदना दी ....दर्द का प्याला
हटाएंबहु त सुंदर...
जवाब देंहटाएंवाह.... जाम और नज्म, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (06-10-2013) हे दुर्गा माता: चर्चा मंच-1390 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नवरात्रि की शुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति है आदरणीया
प्रभावी !!!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल परिवार की ओर से नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
जवाब देंहटाएं--
सादर...!
ललित चाहार
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : इक नई दुनिया बनानी है अभी -- हिन्दी ब्लागर्स चौपाल चर्चा : अंक 018
har shaam chhalk aata hai
जवाब देंहटाएंdrd ka jaam.
सुंदर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंbahut sundar ..........man ko bha gayi rachna............
जवाब देंहटाएंkafi udas nazm hai aapki....ki udasi chha gai yahan par bhi...
जवाब देंहटाएंसुमन जी..सच कहूं...दर्द से लबरेज कविता को पढ़ने से बचता हूं..या कहिए कि भागता हूं..पर मन का क्या किया जाए...सच में बावरा है मन...और ये दर्द भी मजे लेने लगा है हमसे....अब तो जब भी याद आता है तो कहीं अंदर दर्द तो चेहरे पर मुस्कान भी दे जाता है...है न मजेदार चीज
जवाब देंहटाएंउदास नज़्म दूर करती है उदासी के सबब.......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
दिल को छू दिया आपने..
जवाब देंहटाएंउदास नज़्म की इब्तदा छू गई दिल को ...
जवाब देंहटाएंमन दुख में गहराये, तो तलहटी में बैठकर नदी का प्रवाह देखना चाहिये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
हाहा, :) बेचैन ये यादें करती है..
जवाब देंहटाएंऔर मुश्किल, जिंदगी हो जाती है..
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