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शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

उम्र पार की वो औरत











इक पड़ाव पर ठहर कर
अपनी सोच को कर जुदा
सिमट एक दायरे में
करती स्व का विसर्जन
चलती है एक अलग डगर
उम्र पार की वो औरत |

देह के पिंजर में कैद
उम्र को पल-पल संभालती
वक्त के दर्पण की दरार से
निहारती अपने दो अक्स
ढूंढती है उसमे अपना वजूद
उम्र पार की वो औरत |

नियति के चक्रवात में
बह जाते जब मांग टीका
कलाई से लेते हैं रुखसत
कुछ रंग बिरंगे ख्वाब
दिखती है एक जिन्दा लाश  
उम्र पार की वो औरत |

नए रिश्तों की चकाचौंध में
उपेक्षित हो अपने अंश से
बन जाती एक मेहमान
खुद अपने ही आशियाने में
तकती है मौत की राह
उम्र पार की वो औरत !!


सु..मन




27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बेहतरीन ! अत्यंत सशक्त एवँ धारदार रचना ! बधाई स्वीकार करें सुमन जी !

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  2. उम्र पार की औरत जब अपने हिस्से की ख़ामोशी को कुछ और बढ़ा लेती है
    स्वीकार लेती है कफ़न सामाजिक बोलियों का
    तब वह - न जिंदा होती है,न मरती है - नहीं कर पाती अपना अग्नि संस्कार
    रह जाती ही उम्र की गिरफ्त में भटकती

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    1. सही कहा रश्मि जी और इस भटकन में वो जिन्दा लाश बन कर रह जाती है ।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-10-2013) "शरदपूर्णिमा आ गयी" (चर्चा मंचःअंक-1403) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. शुक्रिया शास्त्री जी .. हर बार की तरह इस बार भी मेरी रचना को पाठकों से रूबरू करवाने के लिए आभार ।

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  4. बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी रचना....

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  5. उम्र पार की औरत -- बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति -मर्मस्पर्शी
    latest post महिषासुर बध (भाग २ )

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  6. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कुछ खास है हम सभी में - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. bahut sundar....mere blog par aap sabhi ka swagat hai
    अगर तेरी नज़र है कातिल, तो शिकार हम होंगे,
    अगर तेरा बदन है संगमरमर, तो खरीदार हम होंगे,
    अगर तू है कोई शहज़ादी, तो पहरेदार हम होंगे,
    अगर तेरी मोहब्बत मे है धोखा,तो तेरा प्यार हम होंगे.

    to read all shayri click here
    http://iwillrocknow.blogspot.in/2013/10/blog-post_19.html

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  8. बहुत ही बेहतरीन। हर उम्रपार की औरत को अपना अक्स दिखाई देता है इसमें।

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  9. वाह बहुत खूबसूरत रचना .....सच को बयाँ करती हुई

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  10. नारी जीवन की विभिन्न परिस्थितियों को बाखूबी लिखा है ...
    हकीकत के करीब ...

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  11. मन में जीवित जीवन रहता,
    भोले सा एक बच्चा रहता।

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