कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015
इंतज़ार नमी का...
शाम ढल चुकी है दूर पहाड़ के टीले पर कुछ तारों का जमघट देख रहा चाँद की राह मेरे हिस्से के आसमां में है नमी सी भरी भरी नमी और खाली खाली आसमां चाँद को है इंतज़ार बदली हटने का और मुझे इंतज़ार नम होने का !! *** एक हिस्से में सूखापन है बहुत कुछ नमी की तरावट लाज़मी है शायद !! सु-मन
सार्थक प्रस्तुति। -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-02-2015) को "ब्लागर होने का प्रमाणपत्र" (चर्चा अंक-1896) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ... सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आयुर्वेदा, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योगा, लेडीज ब्यूटी तथा मानव शरीर http://www.jkhealthworld.com/hindi/ आपकी रचना बहुत अच्छी है। Health World यहां पर स्वास्थ्य से संबंधित कई प्रकार की जानकारियां दी गई है। जिसमें आपको सभी प्रकार के पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों तथा वनस्पतियों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिलेगा। जनकल्याण की भावना से इसे Share करें या आप इसको अपने Blog or Website पर Link करें।
बहुत सुन्दर सुमन जी
जवाब देंहटाएंBahut sundar likha
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-02-2015) को "ब्लागर होने का प्रमाणपत्र" (चर्चा अंक-1896) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह सुमन जी ! बहुत सुन्दर ! यह नमी दिल तक पहुँच रही है !
जवाब देंहटाएंआस्मां मे भी एक हिस्सा अपना ... बहुत खूब !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ........
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ख़ूब !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... इंतज़ार सभी को है अपना अपना ... गहरा भाव लिए रचना ...
जवाब देंहटाएंआज 26/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
pyari rachna ,bdhai...
जवाब देंहटाएंइंतज़ार
जवाब देंहटाएंकितनी मासूमियत है तेरे चेहरे पर
बचपन के खेल की लकीरें चेहरे पर
माँ के पल्लू में छुप जाता जब कभी तू
आँगन की मिट्टी का तिलक है चेहरे पर
बहन से लड़ाई करते कभी ज़िद्द करते
उन्हीं के लिए उदासी लिपता चेहरे पर
साथ रहकर कभी जिसे समझ न पाया था
उसी का इंतज़ार करती झुर्रियाँ है चेहरे पर
- पंकज त्रिवेदी
http://shabdanagari.in/Website/Article/intazar
बहुत ही सुंदर और सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंआयुर्वेदा, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योगा, लेडीज ब्यूटी तथा मानव शरीर
जवाब देंहटाएंhttp://www.jkhealthworld.com/hindi/
आपकी रचना बहुत अच्छी है। Health World यहां पर स्वास्थ्य से संबंधित कई प्रकार की जानकारियां दी गई है। जिसमें आपको सभी प्रकार के पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों तथा वनस्पतियों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी पढ़ने को मिलेगा। जनकल्याण की भावना से इसे Share करें या आप इसको अपने Blog or Website पर Link करें।
Waah, Bahut Umda
जवाब देंहटाएंआपकी भावनायें एकदम नि:शब्द कर गयीं
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