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शनिवार, 23 अप्रैल 2022

शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (२४)

 



                            मनुष्य अपने कृत्य का उत्तरदायी खुद होता है । दूसरे के प्रत्युत्तर से मिलने वाला क्षणिक सकून सही मायने छलावा है । दूसरे से मिला सुख-दुख, प्यार-माफी तब तक कोई मायने नहीं रखते जब तक मनुष्य खुद अपने कृत्य के लिए सजग ना हो । आत्मग्लानि से भरा मन कभी-कभी आत्मबोध तक ले जाता है ।

सु-मन 

पिछली कड़ी : शब्द से ख़ामोशी तक – अनकहा मन का (२३)

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 4 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

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  2. सच है सच्चा सुकून तो अपने अच्छे किये कर्म से ही मिल सकता है
    बहुत बढ़िया

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