बढ़ गया दायरा जब तन्हाई का या रब
तू भी बदल गया एक बेवफा की तरह ;
डाला था हमने खुद को तेरी पनाह में
ठूकरा दिया तूने भी एक इंसान की तरह ;
क्या करें शिकवा क्या शिकायत किसी से
तू तन्हा छोड गया एक मुसाफिर की तरह ;
रूह-ए-सकूं मांगा था तेरी निगेहबानी में
दगा दिया तूने भी एक अजनबी की तरह ;
अब तो है शब-ए-गम , तड़प और टूटे ख़ाब
तू आ जाता है कभी सामने एक याद की तरह !!
................................
सु..मन
अर्पित 'सुमन'--------नई चेतना
वाह वाह वाह....क्या गज़ब लिख डाला..
जवाब देंहटाएंबस यूं लगा की मेरे ही दिल की सी बात कह दी...
जितनी तारीफ करूँ कम है..
तुम बहुत अच्छा लिखती हो.
बधाई.
शानदार पोस्ट
जवाब देंहटाएंnice one... keep writing!
जवाब देंहटाएंक्या करें शिकवा क्या शिकायत किसी से
जवाब देंहटाएंतू तन्हा छोड़ गया एक मुसाफ़िर की तरह
वाह...बहुत खूब.
एक शेर सुनिए
क्या शिकायत क्या गिला तकदीर से
बे-सबब रूठे रहे तकदीर से.
बढ गया दायरा तन्हाई का या रब
जवाब देंहटाएंतू भी बद्ल गया बेवफा की तरह
तन्हाई है ही ऐसी शै कि हर कुछ बदला बदला सा नज़र आता है
बहुत सुन्दर रचना
पूरी रचना ही पसंद आई अबकी तो.. :)
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा. आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंरूह-ए-सकूं मांगा था
जवाब देंहटाएंi think it should be rooh-e-sukun
nice
i felt through
tujhe yaad n meri aai kisi se ab kya kahna....bahut achhi
जवाब देंहटाएंbeautiful lines, seem to have been gushed out from your heart and soul.
जवाब देंहटाएंbeautiful and right from your soul. well done !
जवाब देंहटाएंएहसासों को बखूबी लिखा है...
जवाब देंहटाएंक्या करें शिकवा क्या शिकायत किसी से
जवाब देंहटाएंतू तन्हा छोड़ गया एक मुसाफ़िर की तरह
अच्छी पोस्ट,बेहतरीन रचना
यह पोस्ट ब्लाग4वार्ता पर भी है
बहुत ही ख़ूबसूरती से पेश किया है आपने ख़ुदा से अपनी शिकायत। आनंद आ गया पढ़कर।
जवाब देंहटाएंडाला था हमने अपने को तेरी पनाह में
जवाब देंहटाएंठुकरा ही दिया तूने भी इंसान की तरह ।
वाह क्या ख्याल ...और यह इंसानों पर ,उनकी इंसानियत पर एक करारा आघात
अच्छी गजल ,बधाई सुमन गीत जी
???????????? comment if approved please inform if possible--at
जवाब देंहटाएंrkramarya@gmail.com,
बहुत सुन्दर कल्पना और कृति
जवाब देंहटाएंsundar pankitiya...........
जवाब देंहटाएंबढ गया दायरा तन्हाई का या रब
जवाब देंहटाएंतू भी बद्ल गया बेवफा की तरह
बहुत सुन्दर....।
डाला था हमने अपने को तेरी पनाह में
ठुकरा ही दिया तूने भी इंसान की तरह ।
क्या बात है ......!!
बढ गया दायरा तन्हाई का या रब
तू भी बद्ल गया बेवफा की तरह
बहुत खूब ......बहुत ही उम्दा ग़ज़ल .....!!
इन यादों को दिल से लगाए रखना।
जवाब देंहटाएं................
नाग बाबा का कारनामा।
महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?
yaade hai hi dard ke liye , in yaado ka koi kya kare.. aapne apne zazbaato ko shabd diye hai .. wo anupam hai
जवाब देंहटाएंbahut sundar....
जवाब देंहटाएंbahut sundar....
bahut sundar....
aur kya kahun, waahhhhhhh.........