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शनिवार, 3 अक्तूबर 2020

ऐ पुरूष !

 








कितना बाकी है अभी -2
मेरी लूटी आबरू पर ये दंगल
छोड़ ये जहाँ अब ख़ामोश हूँ मैं
और तुम -
मेरे लुटे ज़िस्म पर ढूँढ रहे
हैवानियत की निशानी

बे-मेल दलीलों से
मेरे अनढके अस्तित्व पर
ओढ़ा रहे मेहरबानी का कफ़न

मैं अजीवित हूँ अब -2
शुक्र है उस खुदा का
ऐ पुरुष !
तेरा पुरुषार्थ तुझे जीवित रखने में समर्थ हो !!


सु-मन


#हाथरस ( damn on such investigation)
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