काश ऐसा होता
उड़ सकती मैं भी
खुले आसमां में
पंछियों की तरह
बादलों के संग
धीरे –धीरे विचरती
काश ऐसा होता.........
चल सकती मैं भी
हवा के साथ साथ
गुनगुनाती हुई
रागिनी की तरह
काश ऐसा होता..........
पहुंच जाती मैं भी
तारों के गुलिस्ताँ में
चाँद के संग
चाँदनी की तरह
इठलाती हुई
निशा के संग
धीरे-धीरे विचरती
काश ऐसा होता.......
काश ऐसा होता.......
सु..मन



