कुछ दिनों से मेघ कुछ ज्यादा ही प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं ........बस निर्झर बहते ही जा रहे हैं........... साथ में मतवाली धुन्ध जब अलमस्त हिरनी सी चाल में चलती है तो मन मुग्ध हो जाता है । रोज सुबह जब भी ऑफिस के लिये निकलती हूँ बारिश की हल्की हल्की बून्दें मन में स्पन्दन सा करने लगती है पहाड़ों पर मचलते फाहों के संग झूमने को मन करता है और मन गाने लगता है कुछ इस तरह............
तुम आए हो................
तुम आए हो मेरे सामने इक प्रीत की तरह
आओ गुनगुना लूं तुम्हें इक गीत की तरह
छा रही है सब तरफ आलम-ए-मदहोशी
कूचा-2 महकने लगा है पत्तों में हो रही सरगोशी
तुम आए हो मेरे सामने इक पैगाम की तरह
आओ पी लूं तुम्हें इक जाम की तरह
फिज़ाओं में लरजने लगा है इक तराना
गाने लगे हैं भंवरे कलियों ने सीखा है इतराना
तुम आए हो मेरे सामने जुस्तजू की तरह
आओ बिखेर दूं तुम्हें इक खुशबू की तरह
छा गये हो इन पर्वतों पे तुम यूं घनेरे
दरिया तूफानी कह रहा तुम हो मीत मेरे
तुम आए हो मेरे सामने इकरार की तरह
आओ अपना लूं तुम्हें इक प्यार की तरह
आओ अपना लूं तुम्हें........................!!
सुमन ‘मीत’
घर की छत से कुछ यूं दिखते हैं नज़ारे
रास्ता कुछ यूं कटता है
तुम आए हो................
तुम आए हो मेरे सामने इक प्रीत की तरह
आओ गुनगुना लूं तुम्हें इक गीत की तरह
छा रही है सब तरफ आलम-ए-मदहोशी
कूचा-2 महकने लगा है पत्तों में हो रही सरगोशी
तुम आए हो मेरे सामने इक पैगाम की तरह
आओ पी लूं तुम्हें इक जाम की तरह
फिज़ाओं में लरजने लगा है इक तराना
गाने लगे हैं भंवरे कलियों ने सीखा है इतराना
तुम आए हो मेरे सामने जुस्तजू की तरह
आओ बिखेर दूं तुम्हें इक खुशबू की तरह
छा गये हो इन पर्वतों पे तुम यूं घनेरे
दरिया तूफानी कह रहा तुम हो मीत मेरे
तुम आए हो मेरे सामने इकरार की तरह
आओ अपना लूं तुम्हें इक प्यार की तरह
आओ अपना लूं तुम्हें........................!!
सुमन ‘मीत’
इस कविता की इक पंक्ति का इक टुकड़ा
जवाब देंहटाएं"आओ गुनगुना लूं तुम्हें" में कविता की रूह नज़र आयी |
पूरी कविता जैसे किसी एहसास का पैकर है |
हाँ, तस्वीर भी अच्छी है ।
पहली दो पंक्तियों ने ही झुमा दिया.. ज्यों-२ आगे बढ़ता गया त्यों-२ मन बावरा होता गया...
जवाब देंहटाएंभावनाओं के बादल यूं ही आते है
जवाब देंहटाएंकुछ सुन और कुछ कल जाते है। सुन्दर कविता
मधुर है गीत, लय है
जवाब देंहटाएंबादल उमड़ते हैं, विचार भी घुमड़ने लगते हैं। सदियों का सम्बन्ध है।
जवाब देंहटाएंआप का जवाब नहीं...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक
---मोहक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंछाये श्यामल घन चहुं ओर,
झनन झन बरसै पा्नी।
छाई श्याम घटा घनघोर,
झनन झन बरसै पानी ॥
अति उत्तम रचना .....
जवाब देंहटाएंकुदरत की खूबसूरती कॊ बहुत खूबसूरती से पेश किया है ! मन महक उठा !
जवाब देंहटाएंकुदरत की खूबसूरती कॊ बहुत खूबसूरती से पेश किया है ! मन महक उठा !
जवाब देंहटाएंदिल छू लेने वाले भाव |
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ||
sahi baat hai...
जवाब देंहटाएंbaadlon se is chanchal mann ka koi rista to hai hi....
bahut hi umdaah......
suman ji
जवाब देंहटाएंbaarish ho rahi hai aur main aapki rachna ko padh raha hoon , ab kya bataun ki antim panktiyo par aate aate kya kya hone laga , ye aapke shabdo ka hi kamaal hai.. abhi fir se ek baar aur padhta hon
waah waah waah waah waah
आपकी इस गज़ल को पढ़ एक गीत याद आ गया...
जवाब देंहटाएंकौन है जो दिल में समाया...
लो झुक गया आसमा भी...
कौन है जो ....
bahut hi achhi abhivyakti
जवाब देंहटाएंbahut sunddar suman ji...
जवाब देंहटाएंshayd maine pehle yahan comment kiya tha par nazar nahi aa rha...
nwaz bhut sundar likha hai aapne...mera man bhi unhi baadlon me aane ka kar rha hai jahna aap reh rahe ho...
sach me aap janat me ho...
सुमन जी...
जवाब देंहटाएंमैंने पहली बार है देखा...
आज "बावरा मन"....
कवितायेँ जिसमे सुन्दर सी...
लिखती "मीत सुमन"....
................................
जो आया जिन्दगी में...संगीत की तरह...
तुझको बसा ले दिल में, वो भी "मीत" की तरह....
बहुत ही सुन्दर गुनगुनाने लायक कविता
दीपक....
तुम आये हो मेरे सामने इक प्रीत की तरह
जवाब देंहटाएंआओ गुनगुना लूँ तुम्हें इक गीत की तरह ......
वाह ....प्रेम की अनुभूति की सुंदर प्रस्तुति ....!!
Bahut hi madhur geet hai ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गीत.
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन गीत.क्या खूबसूरत अह्सास हैं.
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