कुछ दिनों के बाद इस ब्लॉग को शुरू किये एक साल हो जायेगा ।जब ये सफर शुरू किया तो सोचा भी न था कि आप लोगों का इतना प्यार मिलेगा ......आज न जाने क्यूँ ब्लॉग की अपनी पहली कविता आप सबके साथ साझा करना चाहती हूँ .........
जीवन राग
जीवन राग की तान मस्तानी
समझे न ये मन अभिमानी ;
बंधता नित नव बन्धन में
करता क्रंदन फिर मन ही मन में ;
गिरता संभलता चोट खाता
बावरा मन चलता ही जाता ;
जिस्म से ये रूह के तार
कर देते जब मन को लाचार ;
होता तब इच्छाओं का अर्पण
मन पर ज्यूँ यथार्थ का पदार्पण ;
छंट जाता स्वप्निल कोहरा
दिखता जीवन का स्वरूप दोहरा ;
स्मरण है आती वो तान मस्तानी
न समझा था जिसे ये मन अभिमानी !!
सु..मन
जीवन राग
जीवन राग की तान मस्तानी
समझे न ये मन अभिमानी ;
बंधता नित नव बन्धन में
करता क्रंदन फिर मन ही मन में ;
गिरता संभलता चोट खाता
बावरा मन चलता ही जाता ;
जिस्म से ये रूह के तार
कर देते जब मन को लाचार ;
होता तब इच्छाओं का अर्पण
मन पर ज्यूँ यथार्थ का पदार्पण ;
छंट जाता स्वप्निल कोहरा
दिखता जीवन का स्वरूप दोहरा ;
स्मरण है आती वो तान मस्तानी
न समझा था जिसे ये मन अभिमानी !!
सु..मन
बहुत सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंमन का अभिमान कब समझता है...
बंधता नित नव बन्धन में
जवाब देंहटाएंकरता क्रंदन फिर मन ही मन में ;
गिरता संभलता चोट खाता
बावरा मन चलता ही जाता...
शायद पहले नहीं पढ़ सके...अच्छी रचना है...
ब्लॉगिंग के एक साल के सफ़र की मुबारकबाद.
bahoot sunder lagi app ki ye rachna............ab man ko kaun samjhaye.
जवाब देंहटाएंjivan ka dohra swaroop... bahut achha likha hai
जवाब देंहटाएंमन तो सदा ही ऐसी सलाह देता है जिससे उलझाव बढ़ता है।
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब और उम्दा लिखा है .... गहरी बात आसानी से कह दी आपने ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता.. १ साल पूरा होने के लिए शुभकामनाएं... मेरे ब्लॉग पर कभी कभी....
जवाब देंहटाएंगिरता संभलता चोट खाता
जवाब देंहटाएंबावरा मन चलता ही जाता ...
बहुत खूब ... कभी कभी मन बैरागी हो जाता है .... सुख दुःख से परे .... प्रेम में डूबा .... बहुत ही मधुर रचना है ... आपके एक वर्ष पूरा होने पर बधाई ....
बेहतरीन भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंब्लॉग के एक वर्ष पूरा करने पर बधाई स्वीकार करें...
नीरज
बहुत सुन्दर रचना है!
जवाब देंहटाएं--
ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...चलते रहने का नाम ही ज़िंदगी है ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव हैं सुमन....
जवाब देंहटाएंसही मायनों में ये ही असली जीवन का राग है....
सुन्दर भावाभिव्यक्ति...........
इस चंचल मन का क्या कहें। सुन्दर रचना। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंabhi blog par apko shatak jadna hai ....likhte rahiye!!
जवाब देंहटाएंblog ka pratham saal ka safal safar mubarak ho Suman
जवाब देंहटाएंRashmi Thakur
सुमन मीतजी,
जवाब देंहटाएंजीवन राग कविता ज़िन्दगी की हकीकत को बड़े मासूम अन्दाज़ में बयान करती है.
मन की गति ही यही है,‘बंधता नित नव बन्धन मे‘ और यही गतिशीलता भी है.
madhavnagdablogspot.com पर आमंत्रित हैं .अवश्य पधारियेगा.
मन बावरा की वर्ष गांठ के लिए हर्दिक बधाई.
सुमन मीतजी,
जवाब देंहटाएंजीवन राग कविता ज़िन्दगी की हकीकत को बड़े मासूम अन्दाज़ में बयान करती है.
मन की गति ही यही है,‘बंधता नित नव बन्धन मे‘ और यही गतिशीलता भी है.
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मन बावरा की वर्ष गांठ के लिए हर्दिक बधाई.