कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
amazing .....
वाह !!क्या बात ! क्या बात ! क्या बात !
गजब कि पंक्तियाँ हैं ........बहुत पसन्द आया
बहुत खूब
मैनें बोया था एक बीज तेरी याद काकुछ दिन हुए एक कांटा उभर आया हैउससे जख़्म-ए-दिल को सिल रही हूँ । बिल्कुल अलग सा खूबसूरत अंदाज़...मेरा एक शेर मुलाहिज़ा फ़रमाएं-जिसकी फ़ुरक़त ने बढाया है मेरी मुश्किल कोउसकी यादों ने ही आसान बना रखा है.
स्तब्ध हूँ मैं।
aaaahhhhhhhhhhh.........!!!!!!!!!!!no coment......... :))))
वाह, आपने चंद शब्दों में दर्द की गहराइयाँ नाप ली
बहुत बढ़िया कता है!
ज़ख्म - ए - दिल को सीने के लिए भी धागे की ज़रूरत होती है ..बहुत खूबसूरत लिखा है ...
इसे अच्छा न कहना जुल्म होगा .
आह!मौन कर दिया।
अरुणा जी गागर मे सागर? वाह । शुभकामनायें।
ला-अलफ़ाज़ हूँ. कुछ सूझ नहीं रहा कहने को.
हम्म ... अच्छा है !
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया............
निर्मला कपिला जी ये अरुणा जी का नहीं मेरा ब्लॉग है............
बहुत खूब ... शायद वो दर्द का बीज होगा ... जो काँटा उगा गया ...
aisa beez na boyen to achcha hai..
वाह जी वाह क्या बात है आपके लेखन में
बहुत खूब !वाह !जय हो !
एक खूब सुरत एहसास ....बहुत सुन्दर ..!!
amazing .....
जवाब देंहटाएंवाह !!
जवाब देंहटाएंक्या बात ! क्या बात ! क्या बात !
गजब कि पंक्तियाँ हैं
जवाब देंहटाएं........बहुत पसन्द आया
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमैनें बोया था एक बीज तेरी याद का
जवाब देंहटाएंकुछ दिन हुए एक कांटा उभर आया है
उससे जख़्म-ए-दिल को सिल रही हूँ ।
बिल्कुल अलग सा खूबसूरत अंदाज़...
मेरा एक शेर मुलाहिज़ा फ़रमाएं-
जिसकी फ़ुरक़त ने बढाया है मेरी मुश्किल को
उसकी यादों ने ही आसान बना रखा है.
स्तब्ध हूँ मैं।
जवाब देंहटाएंaaaahhhhhhhhhhh.........!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंno coment......... :))))
वाह, आपने चंद शब्दों में दर्द की गहराइयाँ नाप ली
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कता है!
जवाब देंहटाएंज़ख्म - ए - दिल को सीने के लिए भी धागे की ज़रूरत होती है ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत लिखा है ...
इसे अच्छा न कहना जुल्म होगा .
जवाब देंहटाएंआह!मौन कर दिया।
जवाब देंहटाएंअरुणा जी गागर मे सागर? वाह । शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंला-अलफ़ाज़ हूँ. कुछ सूझ नहीं रहा कहने को.
जवाब देंहटाएंहम्म ... अच्छा है !
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया............
जवाब देंहटाएंनिर्मला कपिला जी ये अरुणा जी का नहीं मेरा ब्लॉग है............
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... शायद वो दर्द का बीज होगा ... जो काँटा उगा गया ...
जवाब देंहटाएंaisa beez na boyen to achcha hai..
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह क्या बात है आपके लेखन में
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंवाह !
जय हो !
एक खूब सुरत एहसास ....बहुत सुन्दर ..!!
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