सुनो !
होली आने वाली है
और
तुमने पूछा है मुझसे
मेरा प्रिय रंग
चाहते हो रंगना मुझे
उस रंग से ...
जानते हो !
कौन सा रंग प्रिय है मुझे
वो रंग जो कभी ना छूटे
रहे संग मेरे हमेशा
जो ज़िस्म ही नहीं
रंग दे मेरी रूह को भी ...
तो सुनो !
यूँ करो न लाओ कोई रंग
बस अपनी आँखों में
देखने दो मुझे मेरी छवि
सुनने दो तुम्हारी धड़कन का साज़
मन की बाँसुरी पर बजाओ
मेरे लिए एक नव गीत
कि राधा बन रंग जाऊँ
तुम्हारे रंग में
लाल, पीला, हरा, गुलाबी
समाहित हैं जिसमें सब रंग
प्रेम रंग.. प्रेम रंग... प्रेम रंग !!
** जय राधे कृष्णा **
सु..मन
सभी को होली की शुभकामनायें
बहुत प्यारी कविता...हैप्पी होली आपको
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रश्मि जी ..आपको भी होली मुबारक
हटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंहोली मुबारक हो :-)
आपको भी :)
हटाएंचाइना के रंग आ रहे हैं आजकल जीतनी जल्दी चढ़ते हैं उतनी ही जल्दी उतर जाते हैं...आत्मा तक पहुँचाने वाला एकमात्र रंग है प्रेम का...और इस पर चढ़े न दूजो रंग...सभी को रंगों से सराबोर होली की शुभकामनायें...जय श्री राधे...
जवाब देंहटाएंराधे राधे श्याम राधे
हटाएंअद्वितीय प्रेम भाव।
जवाब देंहटाएंआभार प्रवीण जी
हटाएं
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संदीप उन्नीकृष्णन अमर रहे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
शुक्रिया आपका
हटाएंप्रेम में पगी सुंदर अभिव्यक्ति ...!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनुपमा जी
हटाएंआपको भी होली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (16-03-2014) को "रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा मंच-1553) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसत्य वचन,प्रेम-रंग सबसे पक्का रंग
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण.... होली की शुभकामनाएं....!!
जवाब देंहटाएंदिल से लिखी हुई प्यारी सी रचना॥
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !!
हल्का सा नशा हो जाता है
जवाब देंहटाएंफर्क नहीं रहता चेहरो में
हर चेहरा एक रंग में फ़ना हो जाता है
रूप, रंग, जात, धर्म सब छिप जाते हैं इन रंगो के पीछे,
प्रहर भर को आदम, आदम नहीं रहता इंसां हो जाता है,
चेहरो का ये रंग क्यूँ समां नहीं जाता आँखों में
होली का त्यौहार क्यूँ हर रोज नहीं आता है?
-पुलस्त्य
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं भावात्मक प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंमोहे रंग दे पिया उस रंग में,
असर ना छूटे जीवन तक
तेरे नयनो में मेरी छवि . बहुत सुन्दर एवं भावात्मक प्रस्तुति ..
मोहे रंग दे पिया उस रंग में,
असर ना छूटे जीवन तक
तेरे नयनो में मेरी छवि .
देखूं अपलक अविराम, अथक .
देखूं अपलक अविराम, अथक . KAVYASUDHA ( काव्यसुधा )
अलौकिक प्रेम !! मंगलकामनाएं आपको !!
जवाब देंहटाएं