@सर्वाधिकार सुरक्षित

सर्वाधिकार सुरक्षित @इस ब्लॉग पर प्रकाशित हर रचना के अधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं |

शनिवार, 15 मार्च 2014

प्रेम रंग





















सुनो !
होली आने वाली है 
और 
तुमने पूछा है मुझसे 
मेरा प्रिय रंग 
चाहते हो रंगना मुझे 
उस रंग से ...

जानते हो ! 
कौन सा रंग प्रिय है मुझे 
वो रंग जो कभी ना छूटे 
रहे संग मेरे हमेशा 
जो ज़िस्म ही नहीं 
रंग दे मेरी रूह को भी ...

तो सुनो ! 
यूँ करो न लाओ कोई रंग 
बस अपनी आँखों में 
देखने दो मुझे मेरी छवि 
सुनने दो तुम्हारी धड़कन का साज़ 
मन की बाँसुरी पर बजाओ 
मेरे लिए एक नव गीत 
कि राधा बन रंग जाऊँ 
तुम्हारे रंग में 
लाल, पीला, हरा, गुलाबी 
समाहित हैं जिसमें सब रंग 
प्रेम रंग.. प्रेम रंग... प्रेम रंग !!

** जय राधे कृष्णा **

सु..मन 

सभी को होली की शुभकामनायें 

22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्‍यारी कवि‍ता...हैप्‍पी होली आपको

    जवाब देंहटाएं
  2. चाइना के रंग आ रहे हैं आजकल जीतनी जल्दी चढ़ते हैं उतनी ही जल्दी उतर जाते हैं...आत्मा तक पहुँचाने वाला एकमात्र रंग है प्रेम का...और इस पर चढ़े न दूजो रंग...सभी को रंगों से सराबोर होली की शुभकामनायें...जय श्री राधे...

    जवाब देंहटाएं

  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संदीप उन्नीकृष्णन अमर रहे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रेम में पगी सुंदर अभिव्यक्ति ...!!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (16-03-2014) को "रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा मंच-1553) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सत्य वचन,प्रेम-रंग सबसे पक्का रंग

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण.... होली की शुभकामनाएं....!!

    जवाब देंहटाएं
  9. दिल से लिखी हुई प्यारी सी रचना॥
    शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  10. हल्का सा नशा हो जाता है
    फर्क नहीं रहता चेहरो में
    हर चेहरा एक रंग में फ़ना हो जाता है
    रूप, रंग, जात, धर्म सब छिप जाते हैं इन रंगो के पीछे,
    प्रहर भर को आदम, आदम नहीं रहता इंसां हो जाता है,
    चेहरो का ये रंग क्यूँ समां नहीं जाता आँखों में
    होली का त्यौहार क्यूँ हर रोज नहीं आता है?

    -पुलस्त्य

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर एवं भावात्मक प्रस्तुति ..
    मोहे रंग दे पिया उस रंग में,
    असर ना छूटे जीवन तक
    तेरे नयनो में मेरी छवि . बहुत सुन्दर एवं भावात्मक प्रस्तुति ..
    मोहे रंग दे पिया उस रंग में,
    असर ना छूटे जीवन तक
    तेरे नयनो में मेरी छवि .
    देखूं अपलक अविराम, अथक .
    देखूं अपलक अविराम, अथक . KAVYASUDHA ( काव्यसुधा )

    जवाब देंहटाएं
  12. अलौकिक प्रेम !! मंगलकामनाएं आपको !!

    जवाब देंहटाएं

www.hamarivani.com
CG Blog www.blogvarta.com blogavli
CG Blog iBlogger