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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

अनकहे जज़्बात

अनकहे जज़्बात


एक दिन यूं ही
सामना हुआ
अपनी ‘कृति’ से
विस्मित सी वो
देख कर मुझे
कहने लगी.....
क्या सबब है – 2
जो तुम मेरी
इतनी बांह थामे चलते हो ,
अपने जज़्बातों से मुझे
इतना डुबोए रखते हो 1
यूं तो हैं सब अपने
ये कहते रहते हो ,
क्यों अपने जज़्बातों से
उनको दूर रखते हो 1
इस दुनिया की भीड़ में
तन्हा फिरते रहते हो ,
अकसर तन्हाइयों में
मुझसे आकर मिलते हो 1
चकित हूँ मै ये सोच कर
क्या होता तुम्हारा हाल ,
गर न कह पाते तुम
मुझसे भी अपने जज़्बात 1
सुनकर विचार अपनी ‘कृति’ के
मैनें कहा ....
यूं तो सब मेरे हैं जज़्बाती
उनसे दूरी मुझको है तड़पाती ,
जज़्बात तो मैने बहुत से
उनके साथ बांटे हैं ,
फिर भी जीवन में
फूल के साथ कांटे हैं 1
चाहकर भी कुछ जज़्बात
अनकहे से रहते हैं ,
दिल के किसी कोने में
बस दबे रह्ते हैं 1
तब मेरे ख़यालों में
तुम दस्तक देती हो ,
मेरे आगोश में आ जाओ
ये कहती रहती हो 1
के तुमने हैं जाने
मेरे दिल के ख़यालात ,
और कह पाई मैं तुमसे
अपने ‘अनकहे जज़्बात’ !!


सु..मन 


9 टिप्‍पणियां:

  1. suman , aap mere blog par aain , pathak bani, apko rachnayen pasand aain , main aapka aabhari hun, blog par aati rahen.dhanyawaad.aise hi sunder rachnayen likhti rahen , meri shubhkaamnayen, holi ki shubhkaamnaon ke sath.

    जवाब देंहटाएं
  2. hi,

    bahut bariya jazbat he.

    aaj ke daur me jazbat sare bemani ho gaye, kuch badal the zindagi me wo bhi pani ho gaye.

    hahahahaah
    Manish

    जवाब देंहटाएं
  3. सुमन जी ,
    भाव्नाओं की सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई हो

    जवाब देंहटाएं
  4. bahuat acha mai bhi likhna chata hu sujav davi age 18 praveen sharma
    honeysharmabhim@gmail.com

    जवाब देंहटाएं

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