याद आता है.......
याद आता है
वो माँ का लोरी सुनाना
कल्पना के घोड़े पर
परियों के लोक ले जाना
चुपके से दबे पांव
नींद का आ जाना
सपनों की दुनियाँ में
बस खो जाना ...खो जाना...खो जाना..................
याद आता है
वो दोस्तों संग खेलना
झूले पर बैठ कर
हवा से बातें करना
कोमल उन्मुक्त मन में
इच्छाओं की उड़ान भरना
बस उड़ते जाना...उड़ते जाना...उड़ते जाना.............
याद आता है
वो यौवन का अल्हड़पन
सावन की फुहारें
वो महका बसंत
समेट लेना आँचल में
कई रुमानी ख़ाब
झूमना फिज़ाओं संग
बस झूमते जाना...झूमते जाना...झूमते जाना............
याद आता है
वो हर खुशनुमा पल
बस याद आता है..............
याद आता है.............
याद आता है................!!
सु..मन
याद आता है
वो माँ का लोरी सुनाना
कल्पना के घोड़े पर
परियों के लोक ले जाना
चुपके से दबे पांव
नींद का आ जाना
सपनों की दुनियाँ में
बस खो जाना ...खो जाना...खो जाना..................
याद आता है
वो दोस्तों संग खेलना
झूले पर बैठ कर
हवा से बातें करना
कोमल उन्मुक्त मन में
इच्छाओं की उड़ान भरना
बस उड़ते जाना...उड़ते जाना...उड़ते जाना.............
याद आता है
वो यौवन का अल्हड़पन
सावन की फुहारें
वो महका बसंत
समेट लेना आँचल में
कई रुमानी ख़ाब
झूमना फिज़ाओं संग
बस झूमते जाना...झूमते जाना...झूमते जाना............
याद आता है
वो हर खुशनुमा पल
बस याद आता है..............
याद आता है.............
याद आता है................!!
सु..मन
bachpan ki yad dila di....:(
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत बढ़िया भाव!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और अलग तरह की रचना है ... छंद्द को लेकर जो प्रयोग किये हैं वह सराहनीय है !
जवाब देंहटाएंयाद आता है -------
जवाब देंहटाएंकिसी को ढूढते ढूढते खुद ही खो जाना
वाह बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने
मनुष्य मन विचित्र है। समय सीपी से बाहर आ जाने पर मोतियों की स्मृति जागती है।
जवाब देंहटाएंkoi lauta de mujhko wo bachpan ka sawan vo kagaz ki kashti wo baarish ka paani............bahut sunder rachna hai apki!!!
जवाब देंहटाएंयादों को खूबसूरती से सजाया है....बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....!!
जवाब देंहटाएंसच यौवन का अल्हड़पन किसे याद नहीं आया .....!!
यादें यादें यादें ... ये यादें न हों तो जीना आसान नही ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है ...
सुन्दर रचना....बधाई
जवाब देंहटाएंहाँ सच हमें भी कुछ-कुछ...अरे नहीं-नहीं बहुत कुछ याद आ गया....और बहाना बनी आपकी यह कविता....अगर जो अच्छी ना होती तो याद भी कुछ नहीं आता....हाँ सच.....
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachana,man prasann ho gya ,rachna ko padhkar
जवाब देंहटाएंसच लिखा है आपने यादें चाहे बचपन की हों या यौवन के अल्हड़पन की ---सभी हमें जीवन में हर समय सुखद अहसास कराती हैं---अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंbahut sunadar
जवाब देंहटाएंhttp://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
aapne to saare jeevan ka saar hi de diya is kavita me ,jeevan ke ant me hi sab kuch yaad nahi aata hai ,kabhi kabhi madhya me bhi zindagi ruk kar poochti hai hamse .....badhayi sweekar kariye ..
जवाब देंहटाएंaabhar aapka
बहुत खूब ....!!
जवाब देंहटाएंसच यौवन का अल्हड़पन किसे याद नहीं आया .....!!
raam raam ji,bahut badhiya lekh.
जवाब देंहटाएंkunwar ji,
sundar bhav aur utani hi sundar abhivyakti...
जवाब देंहटाएंbadhai!!
kya baat hai
जवाब देंहटाएंbahut khoob