काश ऐसा होता
उड़ सकती मैं भी
खुले आसमां में
पंछियों की तरह
बादलों के संग
धीरे –धीरे विचरती
काश ऐसा होता.........
चल सकती मैं भी
हवा के साथ साथ
गुनगुनाती हुई
रागिनी की तरह
काश ऐसा होता..........
पहुंच जाती मैं भी
तारों के गुलिस्ताँ में
चाँद के संग
चाँदनी की तरह
इठलाती हुई
निशा के संग
धीरे-धीरे विचरती
काश ऐसा होता.......
काश ऐसा होता.......
सु..मन
bhut sundar.....man ki ikshao ko pankh diya hai aapne:)
जवाब देंहटाएंman ke bhaavon ko sundar shabd diye hai aapne...bahut badhiya.
जवाब देंहटाएंमन की उड़ानें एक दिन सत्य होंगी।
जवाब देंहटाएंहमारी ऐसी इच्छा नहीं होती, बस जी करता है रूटीन जिन्दगी से ढेर सारी छुटिटयां मिल जायें और सब लोग बाय बाय कह दें...तो पैदल ही सारी धरती नाप लें।
जवाब देंहटाएंshukriya satyam ji, arvind ji..
जवाब देंहटाएंPraveen ji ..kash sabhi k mann ki udane saty hojaye..
जवाब देंहटाएंSha ji...sach kha aapne... kash sach me pankh lag jaye aur udh ke dharti ko naap len..
जवाब देंहटाएंउन्मुक्त उड़ान की ख़्वाहिश को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है आपने। मन न जाने क्या-क्या सोचता है ... पर काश ... को वे पूरे हो जाते!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंकाश इन्सान के पंख होते!
Baadlon ke saath Udna .... Hawa ke saath gungunana .... Chandani ki tarah Ithalaanaa ... wah kitanii sundar Upmaa di hain .... saare sapne usel diye aapne ... bahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंशब्दों के संग भावनाओं की सुन्दर काल्पनिक उड़ान सुमन जी.
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी...:(
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने
जवाब देंहटाएंअद्भुत अभिव्यक्ति है| इतनी खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंhawao ke sath hi gungunayegi aap
जवाब देंहटाएंbahut khub
बहुत सुन्दर रचना है बधाई।
जवाब देंहटाएंman to bahut kuchh chaahta hai. sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंक्या बात है...बहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंI feel its zeal not wealth that matters. Nicely put.
जवाब देंहटाएंकाश ....यह ख्वाहिश पूरी होती .... कल्पना कि उड़ान ही भर लीजिए ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकाश , मैं उड़ सकती?एक खुबसुरत रचना ..
जवाब देंहटाएंsuman ji
जवाब देंहटाएंsabse pahle aapko hardik badhai mera sa samarthan kar mera utsah badhane ke leye.
aapkisawan par ati manoram rachna bahut bahut hi
pyari lagi.har panktitan lajwab
bahut bahut badhi
poonam
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंkash aisa hota to ek kaviyatri ka post nahi dikhta..............kyonki wo to pariyon ki tarah udte rahti:)
जवाब देंहटाएंbehtareen!
इस काश का कोई अन्त नही मगर यही आगे बढने की प्रेअरण भी देती है। सुन्दर रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुमन जी काश ..ऐसा होता उड़ सकती मै भी खुले आसमां में ..पंख फैलाइए कम से कम उडान तो हम भर ही सकते हैं कल्पना में पर लगा के ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना कोमल भाव
बधाई हो
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
achhi kaamna...
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा सोमवार १/०८/११ को हिंदी ब्लॉगर वीकली {२} के मंच पर की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। कल सोमवार को
जवाब देंहटाएंब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
lo kar lo baat......aap is kavitaa nen ud nahin rahi to kyaa kar rahi ho.....??
जवाब देंहटाएंप्रिय सुमन 'मीत' जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
काश ऐसा होता… काश … इस काश के सहारे मन जितनी उड़ानें भरता है , उपलब्धियां हासिल करता है … उनकी आनन्दानुभूति अलग ही है … :)
बहुत सुंदर भावों की इस रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
सच, ऐसी रचनाएं कभी कभी पढने को मिलती हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
काश ऐसा होता ... मैं भी लिख पाता ... आपकी तरह ... बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.