कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
बहुत ही बढ़िया। सादर
अच्छी रचना है ।
मन की उड़ान पंखों के बिना भी..
पंख के बिना उड़ान लंबी होगी बहुत खूब
बहुत सुन्दर....
बहुत बढ़िया
इसी उड़ान से ही तो बेहतर नज़्म बनती है ..
बहुत बेहतरीन रचना....मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
कुछ अजब पर बहुत गजब ,,,
लाजवाब!!!!!!!!!!!!अनु
अच्छी लगी यह कविता। सु-मन को कविता से जोड़ कर पढ़ा।:)
बहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
अच्छी रचना है ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है ।
जवाब देंहटाएंमन की उड़ान पंखों के बिना भी..
जवाब देंहटाएंपंख के बिना उड़ान लंबी होगी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंइसी उड़ान से ही तो बेहतर नज़्म बनती है ..
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
कुछ अजब पर बहुत गजब ,,,
जवाब देंहटाएंलाजवाब!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंअनु
अच्छी लगी यह कविता। सु-मन को कविता से जोड़ कर पढ़ा।:)
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