शब्द सारे खो गए
छा गया है मौन सा
अब तू बता मन मेरे
गीत लिखूँ कौन सा ।
शब्द सागर है भरा
साहिल है बेचैन सा
अब तू बता मन मेरे
मोती चुनूँ कौन सा ।
ज्वलंत हैं अभिलाषाएँ
अस्तित्व है गौण सा
अब तू बता मन मेरे
रास्ता बढूँ कौन सा ।
नेह हृदय है बह रहा
माझी है निष्प्राण सा
अब तू बता मन मेरे
पतवार ढूँढू कौन सा ।
अब तू बता मन मेरे
गीत लिखूँ कौन सा ....!!
सु..मन
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंमौन का वक्तव्य कितना कुछ कहता है।
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat ....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द ..........चित्रण
जवाब देंहटाएं____________________
ब्लॉग बुलेटिन से यहाँ पहुँचना भा गया :)
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआजकल मन अक्सर जब अकेला होता है
जवाब देंहटाएंतो दिल के एक जिन्दा बचे कोने मे सहेज कर रखे
तेरी यादों के टुकड़े निकाल लेता है
और आँखों की चादर बिछाकर उस पर टुकड़ा टुकड़ा सजाता है,
पर अब पहले सी तेरी तस्वीर नहीं बनती
अक्स तो फिर भी तुझसे मिलता जुलता है
तासीर नहीं मिलती।
-पुलस्त्य
Nice Post . . Have a Nice Day. . . :)
जवाब देंहटाएंsundar ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!
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