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बुधवार, 11 नवंबर 2015
आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें देहरी में मंगल का आँगन में सुख का कमरे में शान्ति का खिड़की में आस का बरामदे में ख़ुशी का मंदिर में भक्ति का दिल में उमंग का प्रेम के हर रंग का आओ दीप जलायें आओ दीप जलायें !! दीप पर्व मुबारक ... सु-मन
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (13.11.2015) को "इंसानियत का धर्म"(चर्चा अंक-2159) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!
माचिस लाओ । चलो दीप जलायें । :)
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (13.11.2015) को "इंसानियत का धर्म"(चर्चा अंक-2159) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!
वाह जी सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रेरक
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सामयिक रचना..
जवाब देंहटाएंभैया दूज की हार्दिक शुभकामनायें!
बेहद सुंदर रचना की प्रस्तुति। भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर रचना की प्रस्तुति। भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
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