रहें ना रहें हम , महका करेंगे
बात कई महीनों पहले की है | हमारे ऑफिस के प्रांगण में सामने की तरफ खाली पड़ी जगह थी जिसमें मैं पौधे
लगाना चाहती थी पर सभी द्वारा मेरी बात नज़रअंदाज़ की जाती रही | मैंने कुदाली खरीद
कर खुद क्यारी बनाई और इधर उधर से लकड़ी लाकर बाड़ लगा दिया क्योंकि आवारा पशु यहाँ
वहां घूमते रहते और पौधों को तोड़ देते | पास के एक घर में काफी पौधे लगे थे उनसे
मांग कर लगाये | रोज़ पानी देती | ऑफिस के लोग जो ज्यादातर गाँव से आते हैं मुझे
देख कर हंस कर कहते कि सुमन हमारे खेतों में भी काम कर जाना | कुछ लोगों के अंदाज़ में
व्यंग होता कुछ के मजाक |
Temporary कुदाली |
एक बार शायद रात को कोई गाय वगैरा आई होगी उसने एक तरफ
से बाड़ का डंडा तोड़ दिया , मैं सुबह उसे ठीक कर रही थी कि हमारे सर ( खंड विकास
अधिकारी ) आये उन्होंने खुद उसे ठीक करने में मेरी मदद की, मैंने उनसे रेलिंग
लगवाने के लिए बोला लेकिन बजट कहाँ से आएगा ये कह बात टल गयी | धीरे धीरे सभी लोग
इस क्यारी की रखवाली करने लगे | जो लोग हंसते थे उन्होंने ने ही गाँव से पौधे लाकर
मुझे दिए मैं कहती आप लगा दो तो बोलते नहीं, आपकी क्यारी है आप ही लगाओगे | मैं
खुश थी लोगों का नजरिया बदल रहा था |
कुछ वक्त पहले |
ऐसे ही एक दिन क्यारी के बीच में जो बिजली का
खम्बा है उसको सीधा करने के लिए बिजली कर्मचारी आये , क्यारी और पौधे खराब हो गए तभी सर
बाहर आये तो साथ में खड़े एक कलीग बोलते - सुमन की क्यारी सारी खराब हो गई | सर
अच्छे मूड में थे कहा ..चलो लिखो ऑफिस नोट, मैं अप्रूव करता हूँ | मैं तो उछल पड़ी
, उसी वक़्त ऑफिस नोट लिख कर अप्रूव हो गया और आज सभी लोग मुझे मुबारक दे रहे और
नर्सरी से पेड़ और पौधे भी आ रहे | मैं बहुत खुश हूँ मेरी क्यारी अपना वजूद पा गयी
|
काम शुरू |
अब खूब फूल खिलेंगे |
कभी कभी सोचती हूँ इसमे कुछ भी
मेरा नहीं है फिर क्यूँ इतनी जिद और मेहनत की , कल को इस ऑफिस में रहूँ ना रहूँ
क्या पता | ये क्यारी बनाने का मकसद बस इतना था कि अगर अपने चारों ओर अच्छा देखने
को मिले तो मन भी अच्छा रहता है वरना और भी काम है जिन्दगी में पेड़ पौधे लगाने के
सिवा ;)
इस क्यारी को नई जिन्दगी मुबारक !
इस बरस इस क्यारी में खूब सुमन महकेंगे और इस सु-मन का मन बाग बाग हो जायेगा |
सु-मन
सुमन जी, कहते है न कोशिश करने वालो की हार नहीं होती। आपकी कोशिशे रंग लाई। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुमन जी, कहते है न कोशिश करने वालो की हार नहीं होती। आपकी कोशिशे रंग लाई। बधाई।
जवाब देंहटाएंलोगों का नजरिया बदलता है लेकिन उसमें वक्त लगता है। यदि हम कुछ अच्छा कर रहे हैं तो एक दिन उसका प्रतिफल जरूर मिलता है।
जवाब देंहटाएंआपने लोगों को प्रेरणा दी है निश्चित है और लोग भी इस तरह का नेक काम करने में आगे आएंगे।
बधाई आपको। . इस समय बरसात में फलदार पेड़ और कद्दू, सेम, तोराई, लौकी, करेला आदि लगाओ तो बहुत अच्छा रहेगा
jiwant kaam ko puri duniya yaad karti hai.....
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-07-2016) को "आतंक के कैंसर में जकड़ी दुनिया" (चर्चा अंक-2412) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " २२ जुलाई - राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसाधुवाद आपको
जवाब देंहटाएंअच्छा काम अच्छा ही होता है । शाबाश ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजब कोई अच्छा काम शुरू करता है ..तो पहले तो लोग उसका मजाक बनाते हैं लेकिन बाद में सब सपोर्ट करते हैं ....और जो लोग किसी काम को दिल से करते है उनके काम हमेशा सफल होते हैं ......great work
जवाब देंहटाएंसुमन जी ,सुंदर रचना पढ़कर खुशी हुई ...
जवाब देंहटाएंएक नई दिशा !
फुल खिले गुलशन गुलशन .........
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