अप्रैल 2014 की बात है , नवरात्रे चल रहे थे और
मेरे छत पर ये गुलाब महक रहे थे | मॉम रोज़ एक फूल देवी माँ को चढ़ाना चाहते थे और
मैं इन फूलों से इनके हिस्से की जिंदगी नहीं छीनना चाहती थी और आज भी इन फूलों को
नहीं तोड़ने देती हूँ , कैसे तोडू ये बस यही कहते हैं मुझसे ...
मेरी बगिया का सुमन मुझसे ये कहता है ..
सुमन कहे पुकार के , सु-मन
मुझे न तोड़
महकाऊँ घर आँगन , मुझसे
मुँह न मोड़
ये डाली मुझे प्यारी , नहीं
देवालय की चाह
बतियाऊँ रोज़ तुमसे , रहने
दे अपनी पनाह
मैं सु-मन , सुमन को ये कहती है ...
तू सुमन मैं भी सु-मन ,
जानू तेरे एहसास
खिलता रहे तू हमेशा . मत हो
यूँ उदास
तेरी चाह मुझे प्यारी ,
नहीं करूंगी तुझे अर्पण
देव होता भाव का भूखा , मन
से होए है समर्पण !!
सु-मन
sunam aur su-man ka sundar ulat fer ...
जवाब देंहटाएंachhee rachna hai sir ...
Pl read sir as Suman ji ...
हटाएंसुन्दर सुमन।
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण कविता सु-मन जी। न चाहते हुए भी "पुष्प की अभिलाषा / माखनलाल चतुर्वेदी" कविता याद आ गई।
जवाब देंहटाएंचाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 1650वीं बुलेटिन - पंडित रवि शंकर में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-04-2017) को
जवाब देंहटाएं"लोगों का आहार" (चर्चा अंक-2616)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बढ़िया कविता' शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (27-04-2017) को पाँच लिंकों का आनन्द "अतिथि चर्चा-अंक-650" पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना चर्चाकार का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय,सार्थक रचना और गहरे शब्द ,जीवित करती भावनायें ,आभार।
जवाब देंहटाएंसुमन के भावों को बखूबी उभारा है सु-मन ने...
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने..
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