कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
ये हादसे भी ज़िन्दगी का हिस्सा हैं ...झेलना होता है इन्हें ...
ये हादसे भी ज़िन्दगी का हिस्सा हैं ...
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