रात घिर आई है
अधगीली सड़क पर
आवाजाही कम है ज़रा
सोडियम लैम्प की पीली रौशनी में
भिन-भिनाने लगे हैं कीट पतंगे
सड़क के गीले किनारों पर
तैर रहे सूखे पत्तों में
आने लगी है कुछ नमी |
रात बरसेगा वो
इन हवाओं ने कहा है अभी
मैं बालकनी में बैठ
उसके इन्तजार में हूँ
बरसेगा जरूर बाहर न सही .. भीतर |
***
बरसना लाज़मी है , हम दोनों के लिए शायद !!
सु..मन
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए आभार!
शुक्रिया शास्त्री जी
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया यशोदा जी
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्दचित्र है ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !!
dhanyvaad satish ji
हटाएंlovely
जवाब देंहटाएंthnqquu :)
हटाएंबाहर बरसेगा तो ओखों के गीलेपन को छुपा लेंगे ये कहकर..कि ये तो छींटे है बौछार के...
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है...सुंदर शब्दचित्र
Rashmi ji .. सही कहा और अंदर बरसा तो किसी को गुमां भी न होगा । shukriyaaaa
हटाएंWow!! deep lines...with so many meanings!!
जवाब देंहटाएंOne of the greatests from you :)
Thankeww Hemant
हटाएंवाह ...भीगी भीगी सी लेखनी
जवाब देंहटाएंAnju ji .... shukriya :))
हटाएंबाहर भी सावन,भीतर भी सावन....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
अनु
हाँजी ..गागर में सागर :))) शुक्रिया
हटाएंbahut bahut aabhar
जवाब देंहटाएंsundar bhav abhivyakti :)
जवाब देंहटाएंbehtareen...
shukriya Mukesh ji ..
हटाएंब्लॉग बुलेटिन के माध्यम से यहाँ पहुंचना अच्छा लगा :)
जवाब देंहटाएं:)))
हटाएंखूबसूरत भाव ....
जवाब देंहटाएंaapka aabhar geet ji
हटाएंहाँ.....
जवाब देंहटाएं"बरसना लाज़मी है , हम दोनों के लिए शायद !"
बहुत खूब....
शुक्रिया पूनम जी
हटाएंबेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंजर्रानवाजी निहार रंजन जी
हटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंभावुक करती रचना
सादर
शुभ प्रभात यशोदा जी
हटाएंशुभकामनायें आदरेया-
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति-
धन्यवाद रविकर जी
हटाएंरात बरसेगा वो
जवाब देंहटाएंइन हवाओं ने कहा
बरसू मै भी
रिमझिम-रिमझिम
तरस रहा मन
भीगूँ मै भी,
बरस-बरस बरसो
हे अमृत घन
मन सु-मन के
आंगन में ....!
आपकी रचना से कुछ मेल खाती हुई कुछ पंक्तियाँ
या टिप्पणी स्वरूप समझे ..आभार !
वाह मेरे हम नाम दोस्त ..बहुत सुंदर :)
हटाएंभावनाओं से अभिभूत ...
जवाब देंहटाएं:))) शुक्रिया
हटाएंबहुत ही सुन्दर, मन घिर घिर कर बरसे।
जवाब देंहटाएंमन से शुक्रिया :))
हटाएंसबसे पहले तो माफ़ी चाहता हूँ... क्या करूँ... आजकल टाइम ही नहीं मिल पाता है...very impressive
जवाब देंहटाएंमाफ़ी की बात नहीं संजय जी , देर से सही आपने पढ़ा सराहा यही काफी है ।शुक्रिया
हटाएंbeautiful lines with great emotions and feelings
जवाब देंहटाएंThnx sir
हटाएंBahot sundar Suman...:)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सरस दी
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