रात फिर
इक ख़याल की कब्र पर
बैठे रहे कुछ लफ्ज़,
करते रहे इन्तजार उन एहसास का
जो दब कर गुम हो गए थे
उस वक्त उस आखिरी घड़ी,जब
ख़याल, ख़याल न रह कर
कब्र में दफ़न हों गया था उस रोज ....
एक शबनमी बूँद कुछ बीते लम्हों की
उन लफ़्ज़ों पर पड़ी कि अचानक
साँस लेने को कुछ सामान मिला
लरजने लगे वो मिट्टी को कुरेदते हुए
बरसों से दबे ख़याल को सहलाने की खातिर...
पर रूह से बेजान ख़याल ख़ामोश लेटा
किस करवट बदलता भला
कैसे निकल आता उस कब्र से
जिसे अपने हाथों से दफ़न किया था
उस रोज,उस फ़रिश्ते ने जाने क्या सोच कर .....
लफ्ज़ देर रात तक कब्र के सरहाने बैठ
ख़याल की बाहों में उतरने को बेचैन रहे
और ख़याल करता रहा इन्तजार फ़रिश्ते का
भोर की पहली किरण तक ....!!
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इक ख़याल की कब्र पर, लफ्ज़ अधलेटे हैं अभी
इक ख़याल को आज भी फ़रिश्ते का है इन्तजार !!
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सु..मन
Wonderful and excellent-.....kuchh khayal ko aaj fariste kaa intjar hai....kksingh-www.kksingh1.blogspot.com
जवाब देंहटाएंthnx Krishna ji
हटाएंसुन्दर !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंbahoot khoob
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भट्टी जी
हटाएंख़याल लेंगे एक नज़्म की शक्ल.....
जवाब देंहटाएंख्यालों को लाख दफ़न कर दो..कमबख्त मरते नहीं.....
अनु
सही बात अनु जी :))
हटाएंThis one's beautiful and the bestest of yours I've read till now....
जवाब देंहटाएंSuperb!!!
thnx allot for liking it :)
हटाएंबढ़िया है आदरेया |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
बहुत ही खूबसूरत रचना खासकर अंतिम दो पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंहाँजी..वही पंक्तियाँ तो निचोड़ हैं इस रचना का
हटाएंलाजवाब!
जवाब देंहटाएंसादर
शुक्रिया यशवंत :)
हटाएंati sundar...
जवाब देंहटाएं:-)
thnx Reena ji :)
हटाएंvery well written.
जवाब देंहटाएंVinnie
thnx allot
हटाएंबहुत सुन्दर गहन भाव !
जवाब देंहटाएंlatest post,नेताजी कहीन है।
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
शुक्रिया आपका
हटाएंशुक्रिया रजनीश जी
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...सुमन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अंजू जी :)
हटाएंनिःशब्द करती खुबसूरत एहसास फ़रिश्ता आएगा ही शुभकामना
जवाब देंहटाएंकल 04/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सच में खुबसूरत व लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंशानदार लिखा है |सुन्दर शब्द चयन |
जवाब देंहटाएंआशा
आओ, उनको गतिमय कर दो,
जवाब देंहटाएंशब्द ठिठक बैठे हैं कब से।
madhur geet
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और भावमयी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुर गहरे!!
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