(पूज्य बाबू जी को समर्पित )
छोड़ इस लोक को ऐ बाबुल
परलोक में अब रहता है तू
कैसे बताऊं तुझको ऐ बाबुल
मेरे मन में अब बसता है तू
बन गए हैं सब अपने पराये
न होकर कितना खलता है तू
देख माँ की अब सूनी कलाई
आँखों से निर्झर बहता है तू
पुकारे तुझको ‘मन’ साँझ सवेरे
मंदिर में दिया बन जलता है तू
ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू....
ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू..... !!
सु..मन
आपकी रचना आपके अन्तस की सुन्दर अभिव्यक्ति है !
जवाब देंहटाएंमाता पिता की स्मृतियां हमारे इर्द-गिर्द हमेशा बनी रहती हैं ।
आप ने अपने पिताश्री को बडे़ मार्मिक ढंग से याद किया है !
आपकी रचना बहुत मार्मिक है ।
जवाब देंहटाएंमाता पिता की स्मृतियां हमेशा हमारे इर्द-गिर्द रहती हैंं ।
आप ने अपने पिताश्री स्कोमृतियों बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है ।
bahut he sundar evam saarth bhavpoorn abhivyakti....
जवाब देंहटाएंबहुत भावभीनी रचना ! हमारा नमन भी उन तक पहुँचे !
जवाब देंहटाएंnahi hokar bhi har jagah rahte hain pita ...touching ....
जवाब देंहटाएंदिल से निकली पुकार जरुर पहुंचेगी और सुनी भी जा रही होगी.
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भाव ...मन उद्वेलित कर गया ....!!
जवाब देंहटाएंकोमल और भावभरी।
जवाब देंहटाएंपिता बरगद की तरह होते हैं ... गहरी छाँव देते हैं ...
जवाब देंहटाएंमन को छूती है आपकी रचना ...
ब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दों में पिता को श्रोद्धांजलि दिया आपने
जवाब देंहटाएंlatest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
पितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें...
सदा या सिर्फ आज के दिन...
जवाब देंहटाएंWell written.
जवाब देंहटाएंvinnie
Very well written.
जवाब देंहटाएंVinnie
बहुत सुंदर रचना .... बाबुल को प्यारी श्रद्धांजलि
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जवाब देंहटाएंसच पिता जी ऐसे ही होते हैं
मन के भीतर पनपती सुंदर और सच्ची अनुभूति
पिता को नमन
सादर
ye ghani chhanw uff fir kahan
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही ... उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंhttp://www.hindisamay.com/
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