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शनिवार, 15 जून 2013

ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू ...

(पूज्य बाबू जी को समर्पित )















छोड़ इस लोक को ऐ बाबुल
परलोक में अब रहता है तू

कैसे बताऊं तुझको ऐ बाबुल
मेरे मन में अब बसता है तू

बन गए हैं सब अपने पराये
न होकर कितना खलता है तू

देख माँ की अब सूनी कलाई
आँखों से निर्झर बहता है तू

पुकारे तुझको ‘मन’ साँझ सवेरे
मंदिर में दिया बन जलता है तू  

ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू....
ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू..... !!


सु..मन

22 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचना आपके अन्तस की सुन्दर अभिव्यक्ति है !
    माता पिता की स्मृतियां हमारे इर्द-गिर्द हमेशा बनी रहती हैं ।
    आप ने अपने पिताश्री को बडे़ मार्मिक ढंग से याद किया है !

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  2. आपकी रचना बहुत मार्मिक है ।
    माता पिता की स्मृतियां हमेशा हमारे इर्द-गिर्द रहती हैंं ।
    आप ने अपने पिताश्री स्कोमृतियों बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत भावभीनी रचना ! हमारा नमन भी उन तक पहुँचे !

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  4. दिल से निकली पुकार जरुर पहुंचेगी और सुनी भी जा रही होगी.

    जवाब देंहटाएं
  5. हृदयस्पर्शी भाव ...मन उद्वेलित कर गया ....!!

    जवाब देंहटाएं
  6. पिता बरगद की तरह होते हैं ... गहरी छाँव देते हैं ...
    मन को छूती है आपकी रचना ...

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  7. ब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  8. बहुत सुन्दर शब्दों में पिता को श्रोद्धांजलि दिया आपने
    latest post पिता
    LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !

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  9. पितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर रचना...
    शुभकामनायें...

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  10. बहुत सुंदर रचना .... बाबुल को प्यारी श्रद्धांजलि

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  11. सच पिता जी ऐसे ही होते हैं
    मन के भीतर पनपती सुंदर और सच्ची अनुभूति
    पिता को नमन
    सादर




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  12. बहुत ही सही ... उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

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