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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

प्रेम















प्रेम !
हर दिन का उजाला
हर रात की चाँदनी
हर दोपहर की तपिश
हर शाम की मदहोशी

तुम्हें एक दिन में समेट पाऊं
इतनी खुदगर्ज़ नहीं .....

मेरे प्रिय !
तुम्हें चिन्हित
तुम्हारा ये दिन
तुम्हें बहुत बहुत मुबारक !!


सु-मन  

12 टिप्‍पणियां:

  1. दिनांक 15/02/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद[https://www.halchalwith5links.blogspot.com] पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

    जवाब देंहटाएं
  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "१४ फरवरी, मधुबाला और ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और ख़ूबसूरत अहसास....

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रेम...
    कैसे मैं तुम्हें बाँधू चंद अल्फाजों में
    काश!
    के तुम खुद ही समझ सकते मुझे...


    सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं

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