तेरा अहसास.....‘मन’ मेरे
मेरे वजूद को
सम्पूर्ण बना देता है
और मैं
उस अहसास के
दायरे में सिमटी
बेतस लता सी
लिपट जाती हूँ
तुम्हारे स्वप्निल स्वरूप से
तब मेरा वजूद
पा लेता है
एक
नया स्वरूप
उस तरंग सा
जो उभर आती है
शांत जल में
सूर्य की पहली किरण से
झिलमिलाती है ज्यूँ
हरी दूब में
ओस की नन्ही बूंद
तेरी वो खुली बाहें
मुझे समा लेती हैं
जब
अपने आगोश में
तो ‘मन’ मेरे
मेरा होना सार्थक
हो जाता है
मेरा अस्तित्व
पूर्णता पा जाता है
और उस
समर्पण से अभिभूत हो
मेरी रूह के
जर्रे जर्रे से
तेरी खुशबू आने लगती है
और महक जाता है
मेरा रोम रोम......
पुलकित हो उठता है
एक ‘सुमन’ सा
तेरे अहसास का
ये दायरा
पहचान करा देता है
मेरी
मेरे वजूद से और
मेरे शब्दों को
आकार दे देता है
मेरी कल्पना को
मूरत दे देता है....
मैं
उड़ने लगती हूँ
स्वछ्न्द गगन में
उन्मुक्त
तुम संग
निर्भीक ,निडर
उस पंछी समान
जिसकी उड़ान में
कोई बन्धन नहीं
बस हर तरफ
राहें ही राहें हों.....
‘मन’ मेरे
तेरा ये अहसास
मुझे खुद से मिला देता है
मुझे जीना सिखा देता है
‘मन’ मेरे.....
‘मन’ मेरे...........!!
सु.मन
मेरे वजूद को
सम्पूर्ण बना देता है
और मैं
उस अहसास के
दायरे में सिमटी
बेतस लता सी
लिपट जाती हूँ
तुम्हारे स्वप्निल स्वरूप से
तब मेरा वजूद
पा लेता है
एक
नया स्वरूप
उस तरंग सा
जो उभर आती है
शांत जल में
सूर्य की पहली किरण से
झिलमिलाती है ज्यूँ
हरी दूब में
ओस की नन्ही बूंद
तेरी वो खुली बाहें
मुझे समा लेती हैं
जब
अपने आगोश में
तो ‘मन’ मेरे
मेरा होना सार्थक
हो जाता है
मेरा अस्तित्व
पूर्णता पा जाता है
और उस
समर्पण से अभिभूत हो
मेरी रूह के
जर्रे जर्रे से
तेरी खुशबू आने लगती है
और महक जाता है
मेरा रोम रोम......
पुलकित हो उठता है
एक ‘सुमन’ सा
तेरे अहसास का
ये दायरा
पहचान करा देता है
मेरी
मेरे वजूद से और
मेरे शब्दों को
आकार दे देता है
मेरी कल्पना को
मूरत दे देता है....
मैं
उड़ने लगती हूँ
स्वछ्न्द गगन में
उन्मुक्त
तुम संग
निर्भीक ,निडर
उस पंछी समान
जिसकी उड़ान में
कोई बन्धन नहीं
बस हर तरफ
राहें ही राहें हों.....
‘मन’ मेरे
तेरा ये अहसास
मुझे खुद से मिला देता है
मुझे जीना सिखा देता है
‘मन’ मेरे.....
‘मन’ मेरे...........!!
सु.मन
बहुत सुन्दर सुमन,
जवाब देंहटाएंतुमने अपना और अपने 'मन' का रिश्ता जो शब्दों में ढाला है वो वाकई काबिले तारीफ है.......... इस नाचीज़ की तो बस यही दुआ है की तुम हमेशा अपने 'मन' के साथ रहो...........और तुम्हारा 'मन' हमेशा तुम्हे यूँ ही खुशियों से मिलाता रहे.....
एक गहरा अहसास ! कफ़ी दिनों से मेरे ब्लोग पर आप ने दस्तक नहीं दी ! इस छोटे से ब्लोगर का होंसला बढ़ाएं ! फ़ोलो करें तो मेहरबानी होगी १
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत कविता सुमन जी... ऐसे एहसासों को समेटना सबके बस की बात नहीं...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
हिंदी साहित्य के एक महान कवि ...
मित्र मन सबसे बड़ा उपहार है जब कि शत्रुमन सबसे बड़ा दुर्भाग्य।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.. ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भाव अदभुत
जवाब देंहटाएंअपने अहसास को अच्छा ढाला है शब्दों में। मुबारक हो ये अहसास, वो भी जिसमें आप पा जाती है अपना अहसास। अपने को पूर्ण।
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhiya
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर---
जवाब देंहटाएं" तेरा मन दर्पण कहलाये....."
मन के अहसासों का बहुत ही सुन्दर चित्रण्।
जवाब देंहटाएंसुमन जी, बधाई कि आपका सकारात्मक लेखन देखने को मिल रहा है...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है.
सुंदर भावाव्यक्ति अच्छी लगी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव ..मन से मन मिल जाए तो कुछ नहीं बचता सोचने और समझने के लिए ...
जवाब देंहटाएंआप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया .......
जवाब देंहटाएंsuman,
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah deri se aane ke liye maafi ..
beech me mai kaafi dino se aapke blog par nahi aa paaya hoon .,ab sochta hoon ki regular ho jaaun. aapko poems ko padhta hoon lekin samay ki kami ke kaaran comment nahi de paata hoon. kshama kare.
ye kavita man ko choo gayi .. aapne ek aise pure soul call ki hai apne prem ke liye ki man shaant ho jaata hai ..
aapko bahut badhayi ..
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
09849746500
बहुत खूब .. उनका एहसास भी क्या गज़ब है ... खुद को खुद से मिला देता है ... अपूर्ण से पूर्ण बना देता है ...
जवाब देंहटाएंप्रेम रस अभिव्यक्ति मे एक एक शब्द प्रेममय हो गया। बहुत सुन्दर रचना है। बधाई। तो आप मेरी जन्म भूमि हिमाचल प्रादेश से हैं। बधाई और शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंbehad achchi lagi.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत लिखा है आपने सुमन जी :)
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव.बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है.
जवाब देंहटाएं.........................
क्रिएटिव मंच आप को हमारे नए आयोजन
'सी.एम.ऑडियो क्विज़' में भाग लेने के लिए
आमंत्रित करता है.
यह आयोजन कल रविवार, 12 दिसंबर, प्रातः 10 बजे से शुरू हो रहा है .
आप का सहयोग हमारा उत्साह वर्धन करेगा.
आभार
वाह क्या बात है सुमन जी, बहुत सुन्दर भावनात्मक कविता !
जवाब देंहटाएंउम्दा लेखन,खूबसूरत अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंमधुर...सुन्दर भावों से भरे शब्द...
जवाब देंहटाएं... sundar rachanaa ... bhaavpoorn !!!
जवाब देंहटाएंसमर्पण के भाव से ओत प्रोत रचना ...
जवाब देंहटाएंसुंदर एहसासो मे सिमटी आप की यह सुंदर रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंप्यार के एहसास को शब्दों में व्यक्त करना आसान नहीं होता...
जवाब देंहटाएंशब्द खो जाते हैं...
प्यार ऐसा ही है सारे बन्धनों से मुक्त
पढ़ कर मन खो गया......
सहज, सरल, सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति सुमन जी.....
आपकी ये उन्मुक्त उड़ान सदा बनी रहे .....✿⊱╮✿⊱╮✿⊱╮
... bahut badhiyaa ... behatreen rachanaa !!!
जवाब देंहटाएंअपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं। भावपूर्ण रचना है।धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंsundar kalpana!..sundar anubhooti!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...समर्पण की इंतिहा
जवाब देंहटाएंदाद हाज़िर है क़ुबूल करें
ये तो बताएं ..ये "मन" कौन है ?
bahut achhi kavita...
जवाब देंहटाएंkripya black colour ka background badal dijiye..padhne me pathko ko takleef hoti hai...
सुंदर एहसास -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
जय श्री कृष्ण...आपका लेखन वाकई काबिल-ए-तारीफ हैं..
जवाब देंहटाएंमीत एक दूसरे के बगैर अधूरे हैं.. बस वो एहसास जिंदा रहना चाहिए.. नहीं तो अधूरापन मर जाएगा..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना..
आभार