कुछ क़तरे हैं ये जिन्दगी के.....जो जाने अनजाने.....बरबस ही टपकते रहते हैं.....मेरे मन के आँगन में......
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
चंद शब्दों में गहरी बात कहना कोई आपसे सीखे...बहुत अच्छी रचना...
सभी को तो नहीं मिलता,कभी जीने का मतलब भी,
शुक्रिया संजय जी...
प्रवीण जी ..ठीक कहा कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता...
आपने क्या खूब फ़रमाया है ... दर्द - ऐ - दिल का न कोई यहाँ सरमाया है ..... बहुत खूब
rachna achhi lagi ,badhai
सुंदर रचना है जी,आभारघर घर में माटी का चूल्हा
बहुत गहरी बात कह दी आपने, अच्छा लगा आपके विचारों को पढना।---------जीवन के लिए युद्ध जरूरी?आखिर क्यों बंद हुईं तस्लीम पर चित्र पहेलियाँ ?
सुन्दर रचना (¯`*•..๑۩۞۩๑ thanks ๑۩۞۩๑..•*´¯)
सच कहा……………सुन्दर अभिव्यक्ति।
zindahi... paheli si hi to hai
wah bahut khub
अच्छी रचना सुमन जी.वैसे किसी ने कहा भी है...ज़िन्दगी...कैसी है पहेली हाय.
सबब है आखिर क्या ... बहुत सुंदर !
hmmmm...............................
बहुत खूब । सुन्दर रचना ।
वाह, क्या बात है !
सच है अपने दर्द खुद ही झेलने होते हैं .. गहरे जज्बात ..
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
जवाब देंहटाएंचंद शब्दों में गहरी बात कहना कोई आपसे सीखे...बहुत अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंसभी को तो नहीं मिलता,
जवाब देंहटाएंकभी जीने का मतलब भी,
शुक्रिया संजय जी...
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी ..ठीक कहा कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता...
जवाब देंहटाएंआपने क्या खूब फ़रमाया है ... दर्द - ऐ - दिल का न कोई यहाँ सरमाया है ..... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंrachna achhi lagi ,badhai
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना है जी,
आभार
घर घर में माटी का चूल्हा
बहुत गहरी बात कह दी आपने, अच्छा लगा आपके विचारों को पढना।
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जीवन के लिए युद्ध जरूरी?
आखिर क्यों बंद हुईं तस्लीम पर चित्र पहेलियाँ ?
सुन्दर रचना
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सच कहा……………सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंzindahi... paheli si hi to hai
जवाब देंहटाएंwah bahut khub
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना सुमन जी.
जवाब देंहटाएंवैसे किसी ने कहा भी है...
ज़िन्दगी...कैसी है पहेली हाय.
सबब है आखिर क्या ... बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंhmmmm...............................
जवाब देंहटाएंबहुत खूब । सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंवाह, क्या बात है !
जवाब देंहटाएंसच है अपने दर्द खुद ही झेलने होते हैं .. गहरे जज्बात ..
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