नारी दिवस पर मेरी एक पुरानी कविता .....
अस्तित्व
दी मैनें दस्तक जब इस जहाँ में
कई ख्वाइशें पलती थी मन के गावं में
सोचा था कुछ करके जाऊंगी
जहाँ को कुछ बनकर दिखलाऊंगी
बचपन बदला जवानी ने ली अंगड़ाई
जिन्दगी ने तब अपनी तस्वीर दिखाई
मन पर पड़ने लगी अब बेड़ियां
रिश्तों में होने लगी अठखेलियां
जुड़ गए कुछ नव बन्धन
मन करता रहा स्पन्दन
बनी पत्नि बहू और माँ
अर्पित कर दिया अपना जहाँ
भूली अपने अस्तित्व की चाह
कर्तव्य की पकड़ ली राह
रिश्तों की ये भूल भूलैया
बनती रही सबकी खेवैया
फिसलता रहा वक्त का पैमाना
न रुका कोई चलता रहा जमाना
चलती रही जिन्दगी नए पग
पकने लगी स्याही केशों की अब
हर रिश्ते में आ गई है दूरी
जीना बन गया है मजबूरी
भूले बच्चे भूल गई दुनियां
अब मैं हूँ और मन की गलियां
काश मैनें खुद से भी रिश्ता निभाया होता
रिश्तों संग अपना ‘अस्तित्व’ भी बचाया होता.................
सु..मन
सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसुमन मीत जी!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सुन्दर और सशक्त रचना लिखी है!
महिला दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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केशर-क्यारी को सदा, स्नेह सुधा से सींच।
पुरुष न होता उच्च है, नारि न होती नीच।।
नारि न होती नीच, पुरुष की खान यही है।
है विडम्बना फिर भी इसका मान नहीं है।।
कह ‘मयंक’ असहाय, नारि अबला-दुखियारी।
बिना स्नेह के सूख रही यह केशर-क्यारी।।
स्त्री जीवन का सच्चा खाका खींचा है आपने अपनी इस रचना में...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
नारी के अस्तित्व विवेचन का अति उत्तम चित्रण
जवाब देंहटाएंबधाइयाँ..
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबचाने में न जाने कितना चला जाता है, प्रवाह में भी माणिक मिल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंअस्तित्व के बिना भी क्या जीना।
जवाब देंहटाएंबिन आत्म सम्मान के जीना गया फिज़ूल
उस जीवन को क्या कहें जिसमे नहीं उसूल
शुभकामनायें।
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंreally have no words for urz compliments....bahut umdaaa...likhte rahiye
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... खुद का असतित्व जरूर बचाए रखना चाहिए ... अच्छी रचना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक रचना...बधाई.
जवाब देंहटाएंYou write so well and so beautifully that many a time I think how could u write that way.Your post is always a real treat to my perception. In the present post U have brilliantly squeezed out your life.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंwah wah ..bahut umda...!
जवाब देंहटाएंman ki baat ekdam bebaki ke saath kavita men rakhi hai aapne......achchi lagi.
जवाब देंहटाएंनारी के जीवन का चित्रांकन करती हुई एक बेजोड़ कविता...........बहुत सुन्दर लिखा है हर बार की तरह........
जवाब देंहटाएंlazabab...Aati sunder
जवाब देंहटाएंVery Nice!
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन रचना.. यह केवल महिलाओं को ही नहीं पर हर इंसान को समझने की ज़रूरत है कि दुनिया की चकाचौंध में अपने अस्तित्व को न भूलें..
जवाब देंहटाएंअच्छा सन्देश..
आभार
चलती दुनिया पर आपके विचारों का इंतज़ार है
सुन्दर संवेदनशील रचना !
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनायें !