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शनिवार, 16 अप्रैल 2011

उल्फत

















कहते हैं इस दुनिया में

        हर चीज की अहमियत होती है

क्यों हमारे जज़्बातों के लिए

        इसकी कमी सी लगती है

जब समय के साथ

        हर चोट भर जाती है

क्यों हमारे ही जख्मों में

        इक टीस सी रहती है

ये पूछते हैं अकसर खुद से 2

        क्यों अपनी ही तमन्नाओं के सैलाब में

        हमारी उल्फत दबी सी रहती है........ !!

                               

                                                                            सु..मन 

22 टिप्‍पणियां:

  1. अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

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  2. बहुत ही सुंदरता से मन के भावों को शब्द दिये है आपने..लाजवाब।

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  3. भावनाओं को मान मिलने से ऊर्जा द्विगणित हो जाती है।

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  4. ज्यादा उम्मीदें चाहतों में कमीं पैदा कर देती हैं ....

    अच्छे भाव हैं नज़्म के .....!!

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  5. सुन्दर भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति !

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  6. बहुत सही सवाल किया है तुमने सुमन............. अक्सर ऐसा ही होता है......... मगर क्यूँ और किस लिए होता है, इसका जवाब किसी के पास नहीं होता........... :((

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  7. बहुत खूब सुमन !
    अच्छी पंक्तियां-
    "क्यों अपनी ही तमन्नाओं के सैलाब में
    हाअरी उल्फ़त दबी सी रहती है......!!"
    वाह जी, वाह ! जय हो आपकी !
    www.omkagad.blogspot.com

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  8. क्यों हमारे ही ज़ख्मों में एक टीस सी रहती है...
    बहुत अच्छा लिखा है सुमन जी.

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  9. हमारी उल्फत दबी सी रहती है ...!!!
    शब्‍दों का बहुत खूबसूरत एहसास कराती रचना ...:)

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  10. रंग के कारण बहुत मुश्किल से पढ पाई हूँ। बहुत सुन्दर दूसरे ब्लाग पर ' ज़िन्दगी " पर कमेन्ट नही हो पा रहा। लाजवाब है ज़िन्दगी का फलसफा। शुभकामनायें।

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  11. ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
    आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
    समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
    .
    जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
    हल्ला बोल के नियम व् शर्तें

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